Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नये श्रम कानूनों को स्थगित करने के केंद्र सरकार के ताजा नोटिफिकेशन को नाकाफी बताया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन तकनीकी वजहों से अपर्याप्त है। उच्च न्यायालय इस मामले पर अगली सुनवाई 12 जनवरी, 2026 को करेगा।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी (एडिशनल सॉलिसिटर जनरल) चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने नये श्रम कानूनों को सुगम और सरल तरीके से लागू करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया है और नये नोटिफिकेशन के मुताबिक नये श्रम कानून एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे। इस पर याचिकाकर्ता के वकील रविंद्र एस. गरिया ने कहा कि नोटिफिकेशन कानून सम्मत नहीं है। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन में खामियां हैं। कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन में पहले के कानून को निरस्त करने का कोई जिक्र नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने जल्दबाजी में नोटिफिकेशन जारी करवाया है। कोर्ट ने कहा कि लगता है कि केंद्र के अधिकारियों ने श्रम न्यायालयों में अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले श्रमिकों और श्रम न्यायालयों में बैठे जजों की परेशानियों को समझे बिना हड़बड़ी में नोटिफिकेशन जारी कर दिया। कानूनों में केंद्र सरकार को चाहिए कि वो याचिकाकर्ताओं या श्रम कानूनों की बेहतर समझ रखने वाले वकीलों से सलाह लेकर नोटिफिकेशन जारी करवाएं।
कोर्ट ने 3 दिसंबर को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका वकील एनए सेबेस्टियन और सुनील कुमार ने दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील रविंद्र एस. गरिया ने कहा था कि 29 से ज्यादा श्रम कानूनों को खत्म कर 21 नवंबर को नये चार श्रम कानूनों को लाया गया है। याचिका में कहा गया था कि नये श्रम कानूनों में लेबर कोर्ट को खत्म कर उनके स्थान पर लेबर ट्रिब्यूनल का प्रावधान किया गया है। लेबर कोर्ट में लंबित मामलों को लेबर ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। लेबर ट्रिब्यूनल में एक न्यायिक अधिकारी और एक एसोसिएट सदस्य के रुप में शामिल रहेंगे। गरिया ने कहा कि नये श्रम कानूनों को लागू तो कर दिया गया है लेकिन अभी नियम नहीं बनाए गए हैं। लेबर ट्रिब्यूनल का गठन भी नहीं किया गया है। गरिया ने कहा था कि नये श्रम कानूनों को बिना दिमाग का इस्तेमाल किए लागू किया गया।
गरिया ने कहा था कि नये श्रम कानूनों को साल 2020 में ही संसद ने पारित कर दिया था। लेकिन पिछले पांच सालों में सरकार नियम नहीं बना सकी। लेबर ट्रिब्यूनल के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार नहीं किया गया और केंद्र सरकार ने पूरे प्रचार प्रसार के साथ हड़बड़ी में श्रम कानूनों को लागू किया। ऐसे में इन कानूनों पर रोक लगाई जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा से पूछा कि बिना तैयारी के क्यों कानून लाया गया। आप केंद्र सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी