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—दशाश्वमेधघाट पर 51 हजार दीप एक साथ प्रज्जवलित होंगे,21 कुंतल फूल-मालाओं से सजेगा घाट और बनेगा वंदनवार,रिथ लेइंग
वाराणसी,2 नवम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी)में देव दीपावली पर्व पर गंगा सेवा निधि की महा गंगा आरती इस बार ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रहेगी। दशाश्वमेधघाट को 21 कुंतल फूल-मालाओं से सजाने, फूलों के वंदनवार बनाने के साथ 51 हजार दीप भी एक साथ जलेंगे। इसी के साथ एक मास तक आकाशदीप जलाने के कार्यक्रम का भी समापन होगा।
रविवार को यह जानकारी निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र,कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी,सचिव हनुमान यादव ने संयुक्त रूप से पत्रकारों को दी। पदाधिकारियों ने निधि के कार्यालय में बताया कि अनवरत तीन दशक से भी ज्यादा समय से आध्यात्मिकता और राष्ट्रवाद को संकल्पित व समर्पित विश्व प्रसिद्ध भव्य देव-दीपावली महोत्सव का आयोजन भव्य रूप से होगा। इस अवसर पर भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान‘‘ से सम्मानित भी किया जायेगा ।
कार्यक्रम में निधि के संस्थापक स्मृतिशेष पं. सत्येन्द्र मिश्र को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद प्रो. रेवती साकलकर (काशी हिन्दू विश्वद्यालय ) गणपति वंदना व देश-भक्ति से भरे गीतों को प्रस्तुत करेंगी। निधि द्वारा बनाये गए ‘अमर जवान ज्योति’ की प्रतिकृति पर रिथ लेइंग (श्रद्धांजलि अर्पण) किया जाएगा।
इस अवसर पर एयर मार्शल बी. मणीकांतन , एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, सेंट्रल एयर कमांड, आईएएफ, वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के वरिष्ठ अधिकारी, सीआईएसएफ और एनडीआरएफ के अधिकारी तथा 39 जीटीसी के जवान उपस्थित रहेंगे। रिथ लेइंग के पश्चात 39 जीटीसी के जवान लास्ट पोस्ट और गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। इसके पहले प्रो. चन्द्रमौली उपाध्याय, पं. श्रीधर पाण्डेय व निधि के प्रमुख अर्चक आचार्य रणधीर के नेतृत्व में 21 ब्राम्हण भगवती माँ गंगा का वैदिक रीति से पूजन करेंगे। श्री राम जनम योगी का शंखनाद,श्री काशी विश्वनाथ डमरु दल के 10 स्वयं सेवकों का डमरू वादन भी होगा। मां गंगा की महाआरती में 21 अर्चक और 42 कन्या रिद्धि – सिद्धि के रूप में शामिल होंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी