चेन्नई में पाकिस्तानी लड़की का हुआ सफल हृदय प्रत्यारोपण, लोग कर रहे टिप्पणी
चेन्नई (तमिलनाडु), 28 अप्रैल (हि.स.)। चेन्नई में हुए एक अंगदान के मामले को लेकर लोग नाराज हैं। भारती
चेन्नई में पाकिस्तानी लड़की का हुआ सफल हृदय प्रत्यारोपण, लोग कर रहे टिप्पणी


चेन्नई (तमिलनाडु), 28 अप्रैल (हि.स.)। चेन्नई में हुए एक अंगदान के मामले को लेकर लोग नाराज हैं। भारतीय नागरिकों की तुलना में एक विदेशी को प्राथमिकता देने के लिए तमाम तरह की नकारात्मक टिप्पणियां की जा रही है। लोग स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को शर्मसार करने के उलाहने से लेकर पाकिस्तान के नागरिकों के प्रति धार्मिक कट्टरता और घृणा आदि के अनगिनत उदाहरण दे रहे हैं। दरअसल, चेन्नई में एक एनजीओ द्वारा सर्जरी की लागत वहन करने पर सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है।

एक 19 वर्षीय पाकिस्तानी लड़की की चेन्नई में हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी होने की खबर आई जिसे एक्स पर एक उपयोगकर्ता ने लिखा है- यहां हम अपना दिल पाकिस्तानियों को दे रहे हैं जिसे प्रतीक्षा सूची में शामिल हमारे देशवासियों में से किसी एक को दिया जा सकता था।

आक्रोश के बावजूद भारत सरकार के अधीन एक निकाय, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन इस तरह काम नहीं करता है। हमारे सैनिक सीमा पर पाकिस्तानियों के हाथों मर रहे हैं और यहां हम अपना दिल पाकिस्तानियों को दे रहे हैं, जो प्रतीक्षा सूची में शामिल हमारे किसी देशवासी को दिया जा सकता था।

चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर में किया गया था और उसके इलाज का खर्च ऐश्वर्या ट्रस्ट नामक एक एनजीओ ने वहन किया था। पूर्व रोगियों और डॉक्टरों ने भी उसके इलाज के बिलों का निपटान करने में योगदान दिया। एमजीएम हेल्थकेयर के डॉक्टर केजी सुरेश राव के अनुसार- “हमारे लिए मरीज़ मरीज़ हैं। हम उनके धर्म या उनके जन्म स्थान को नहीं देखते हैं। हम मदद के लिए जो भी संभव होगा वो करेंगे, इस मामले में हमने यह नहीं देखा कि वह पाकिस्तानी थी या भारतीय। वह एक रोगी एक युवा लड़की है।

एक एक्स यूजर ने लिखा, भारत मुफ्त हृदय प्रत्यारोपण क्यों कर रहा है, भारत में कई गरीब लोग हैं जिन्हें इन कृतघ्न लोगों से अधिक की जरूरत है! एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा, वे भुगतान की औपचारिकताओं से पहले हमारे इलाज के बारे में बात भी नहीं करेंगे और यहां वे दुश्मनों को मुफ्त इलाज दे रहे हैं! भारत मुफ्त हृदय प्रत्यारोपण क्यों कर रहा है। भारत में कई गरीब लोग हैं जिन्हें इन कृतघ्न लोगों से अधिक की आवश्यकता है! वे भुगतान की औपचारिकताओं से पहले हमारे इलाज के बारे में बात भी नहीं करेंगे और यहां वे दुश्मनों को मुफ्त इलाज दे रहे हैं!

भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के ध्रुवीकृत दृष्टिकोण की निंदा करते हुए डॉ साइरिएक एबी फिलिप्स ने कहा, “यह चिकित्सा देखभाल से संबंधित समाचार है। टिप्पणी में बड़ी संख्या में लोग मानवतावाद का अर्थ नहीं समझते। यह चिकित्सा पद्धति का मूल है। दूसरे व्यक्ति को एक साथी इंसान के रूप में देखने के अलावा चिकित्सा में किसी भी चीज़ के लिए कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा एक सार्वभौमिक अधिकार है और नकारात्मक टिप्पणी करने वाले कुछ लोगों को शर्म आनी चाहिए। इस पोस्ट पर की गई टिप्पणी पर हमारी मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है। टिप्पणी करने वालों में अधिकांश लोग पूरी बात को ठीक से समझ नहीं पाते।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ आर. बी. चौधरी/प्रभात