Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
स्ट्रासबर्ग/द हेग, 09 जुलाई (हि.स.)। यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार अदालत 'यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय' ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में रूस को यूक्रेन में युद्ध अपराधों और 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच17 को मार गिराने का दोषी ठहराया है। यह फैसला यूक्रेन और नीदरलैंड द्वारा दायर चार प्रमुख मामलों पर आया है, जिनमें रूस पर अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के गंभीर उल्लंघनों के आरोप लगे थे।
अदालत ने अपने 501 पन्नों के विस्तृत फैसले में कहा कि रूस की सैन्य कार्रवाइयों ने यूक्रेन में न केवल हत्याएं, यातनाएं, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों को जन्म दिया, बल्कि जानबूझकर नागरिक ढांचे को भी निशाना बनाया गया।
अदालत के अध्यक्ष मैटियास गायोमार ने कहा, रूसी सैन्य बलों द्वारा किए गए हमलों ने हजारों नागरिकों की जान ली, उन्हें घायल किया और देश भर में भय और आतंक का माहौल पैदा किया।
अदालत ने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि रूस ने यौन हिंसा को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। अदालत ने कहा कि युद्ध के दौरान बलात्कार का प्रयोग एक अमानवीय अत्याचार है, जो यातना के समकक्ष है।
अदालत ने 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट MH17 को मार गिराने के लिए भी रूस को जिम्मेदार ठहराया। इस हमले में 298 निर्दोष लोग मारे गए थे। पीड़ितों के परिजनों ने अदालत के इस फैसले को 11 वर्षों की न्यायिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है।
यूक्रेन ने इस फैसले को “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व” बताते हुए अपनी “अपरिहार्य जीत” बताया। वहीं रूस ने इसे खारिज कर दिया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “हम इस निर्णय को नहीं मानते। हमारे लिए यह निर्णय शून्य और निरर्थक है।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस द्वारा मामले में भाग न लेना और न्यायिक प्रक्रिया का बहिष्कार करना भी यूरोपीय मानवाधिकार संधि का उल्लंघन है।
-------------------
हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय