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कंपनियों ने कहा- रोगियों पर पड़ेगा बुरा असर
ब्रसेल्स/वॉशिंगटन, 29 जुलाई (हि.स.)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय संघ (ईयू) से आयातित दवाओं पर 15 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ) लगाए जाने की योजना पर यूरोपीय दवा उद्योग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। यूरोपीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज फेडरेशन (ईएफपीआईए) ने इसे ब्लंट इंस्ट्रूमेंट यानी एक ऐसा असंवेदनशील उपाय करार दिया है जो ट्रांस-अटलांटिक मरीजों और अनुसंधान निवेश दोनों के लिए नुकसानदायक होगा।
व्हाइट हाउस द्वारा साझा किए गए एक समझौते के मसौदे में बताया गया कि यह लागू होता है, तो ईयू से अमेरिका में आयातित ऑटो, ऑटो पार्ट्स, अर्धचालक (सेमीकंडक्टर्स) और दवाओं पर 15 फीसदी टैरिफ लगेगा।
ईएफपीआईए ने स्पष्ट रूप से कहा, “दवाओं पर शुल्क लगाना एक ऐसा तरीका है जो आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करेगा, अनुसंधान और नवाचार में निवेश को प्रभावित करेगा और अंततः मरीजों की दवा तक पहुंच को नुकसान पहुंचाएगा।” यह संस्था जर्मनी की बायर, डेनमार्क की नोवो नॉर्डिस्क और आयरलैंड में कार्यरत अमेरिकी कंपनियों फाइजर तथा जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है।
ईएफपीआईए ने दोहराया कि वह दुनियाभर में फार्मास्युटिकल नवाचार के वित्त पोषण के बेहतर बंटवारे के लिए प्रयासरत है, लेकिन इसके लिए और भी प्रभावी उपाय मौजूद हैं जो मरीजों की देखभाल और वैश्विक आर्थिक विकास को प्रेरित करेंगे, न कि बाधित।
हालांकि ईयू ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका से ईयू में आयात होने वाली दवाओं पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। ईयू के एक प्रवक्ता ने यह भी कहा कि डिजिटल टैक्स को न लागू करने की जो अमेरिकी टिप्पणी है वह भ्रामक है, क्योंकि ईयू के पास “डिजिटल क्षेत्र में कानून बनाने का संप्रभु अधिकार” है।
अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रियास्वरूप आयरलैंड के की प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन ने कहा कि, “टैरिफ आदर्श नहीं हैं, लेकिन व्यापार युद्ध विनाशकारी साबित हो सकता है।”
ट्रंप सरकार का यह कदम 1995 के विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) समझौते का भी उल्लंघन है, जिसके तहत दवाओं और उनकी सक्रिय सामग्रियों पर जीरो टैरिफ तय किया गया था।
गौरतलब है कि ट्रंप पहले भी अमेरिकी दवा कंपनियों पर हमला बोलते रहे हैं जो अमेरिका के लिए दवाएं बनाती हैं लेकिन मुनाफा विदेशों में दर्ज करती हैं। मार्च में उन्होंने विशेष रूप से आयरलैंड के कम कर नीति (लो टैक्स पॉलिसी) पर हमला बोला था, जिसे फाइजर, बोस्टन साइंटिफिक और एली लिली जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय