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फतेहाबाद, 25 जुलाई (हि.स.)। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की ओर से गांव धारनिया में सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र खोला गया है। जिन मुकदमों एवं दरख्वास्तों में मध्यस्थता के माध्यम से विवाद समाप्त होने की संभावना है, उनको सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र के समक्ष रखा जाएगा। सीजेएम एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव गायत्री ने शुक्रवार को बताया कि आमतौर पर देखा जाता है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर हुए विवाद अदालत तक पहुंच जाते हैं, जिनका कई सालों तक केस चलता रहता है। अब ऐसे केस अदालत में जाने की बजाय सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र में जाएंगे और केंद्र की टीम मध्यस्थता कर दोनों पक्षों में सुलह करवाने का काम करेगी। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रदेश के हर जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र शुरू किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिला ने इसमें पहल करते हुए प्रथम चरण में गांव धारनिया के ग्राम सचिवालय में इसकी शुरुआत कर दी है। इस सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में दो पक्षों में होने वाले छोटे-छोटे मामलों जैसे नाली विवाद, गली विवाद, प्लाट, जमीन को लेकर विवाद, पारिवारिक विवाद, चेक बाउंस, पति-पत्नी का विवाद, आपसी झगड़ों का आपसी मध्यस्थता से निपटारा करना है। इस केंद्र में जिले भर से ग्रामीण क्षेत्र के मामलों को रखा जाएगा। इन केंद्रों पर तीन सदस्यों का पैनल नियुक्त किया गया है। धारनिया में बने सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र में हरदीप सिंह, संजय शर्मा व अलका रानी की नियुक्ति की गई है। यह सभी प्रशिक्षित मध्यस्थकार जिला में होने वाले लघु विवादों में दोनों पक्षों को सुनकर आपसी सहमति के द्वारा भाईचारा कायम रखते हुए विवादों का निपटान करेंगे। पैनल में शामिल सदस्यों को ज्यूडिशियल अकैडमी चंडीगढ़ में 40 घंटे का प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद उनकी नियुक्ति इस मध्यस्थता केंद्र के लिए की गई है। इससे कोर्ट में आने वाले मामलों की संख्या कम होगी और आमजन को भी राहत मिलेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / अर्जुन जग्गा