खच्चर चलाने वाले अतुल ने की जेम की परीक्षा पास
गुप्तकाशी, 16 जुलाई (हि.स.)। कहते हैं कि मन में कुछ करने की लालसा और जिजीविषा हो तो, तमाम झंझावातों, संघर्षों को पार करते हुए व्यक्ति अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अतुल कुमार ने। केदारनाथ धाम में घोड़े खच्चरों के सं
खच्चर चलाने वाले अतुल ने की जेम की परीक्षा पास


गुप्तकाशी, 16 जुलाई (हि.स.)। कहते हैं कि मन में कुछ करने की लालसा और जिजीविषा हो तो, तमाम झंझावातों, संघर्षों को पार करते हुए व्यक्ति अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकता है।

कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अतुल कुमार ने। केदारनाथ धाम में घोड़े खच्चरों के संचालन से अपने परिवार के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए अतुल मेहनत कर तो रहा था, लेकिन उसके अंदर की आग उसे आगे बढ़ाने के तमाम रास्ते निर्मित कर रही थी। अतुल ने बिना किसी ट्यूशन के आईआईटी जेएएम 2025 की परीक्षा को उत्तीर्ण कर संघर्ष से सफलता की कहानी को गढ़ा है। उपतहसील बसु केदार के अंतर्गत वीरों देवल निवासी अतुल ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर पढ़ाई को अधूरा नहीं छोड़ा, हालांकि पारिवारिक स्थिति इतनी माकूल नहीं थी, कि भारी भरकम फीस चुकाकर कोई कोर्स किया जाए ,लेकिन अतुल ने हार नहीं मानी।

पारिवारिक जिम्मेदारियां को निर्वहन करने के लिए इस यात्रा काल के दौरान केदारनाथ धाम में घोड़े खच्चरों से सामान सप्लाई का कार्य कर रोजी-रोटी का जुगाड़ तो किया, लेकिन रात भर उक्त टेस्ट की तैयारी भी की । दिनभर घोड़े खच्चरों के साथ केदारनाथ धाम की चढ़ाई की थकान बावजूद इसके रात में 4 से 5 घंटे इस परीक्षा के लिए पूरी मेहनत । उसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है, कि प्रत्येक दिन 30 किलोमीटर चलने के बाद भी किताबों में खो जाना और उसके बाद इतनी जटिल परीक्षा को उत्तीर्ण कर देना ।

स्थानीय लोग उसकी संघर्ष मेहनत की कहानी अपने नौनिहालों को सुना कर उन्हें भी मेहनत की सलाह देने लगे हैं। अतुल बताते है, कि कक्षा दसवीं के बाद उन्होंने अपने मन में इस परीक्षा को उत्तीर्ण्य करने के सपने संजोए थे। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियां जगह-जगह उसकी इस सफलता के बीच में बाधा पहुंचा रही थी, लेकिन अतुल ने पारिवारिक जिम्मेदारियां के निर्वहन के साथ-साथ इस कठिन परीक्षा को पास कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

हिन्दुस्थान समाचार / बिपिन