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बलरामपुर, 12 जुलाई (हि.स.)। घनघोर बारिश के इस मौसम में जिले के सबसे बड़े जलप्रपात रकसगंडा का दृश्य जितना दर्शनीय हो गया है, उतना ही खतरनाक भी है। लाखों घनलीटर पानी का प्रति मिनिट हो रहे प्रवाह और झरने का उछाल देखने प्रतिदिन लोग उमड़ रहे हैं।
रिहन्द नदी पर स्थित रकसगंडा जलप्रपात न केवल बलरामपुर जिला बल्कि सम्पूर्ण सरगुजा संभाग का सबसे बड़ा एवं खतरनाक जलप्रपात है। यह बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए वाड्रफनगर से बैढ़न (मध्य प्रदेश) के मुख्यमार्ग पर कुछ ही अंदर स्थित है। वैसे तो यहां पूरे साल सैलानी पिकनिक मनाने आते रहते हैं, किंतु गर्मियों के मौसम में यहां सैलानियों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। इसके अलावा नव वर्ष पर भी लोग बड़ी संख्या में दूसरे राज्याें से यहां उमड़ते हैं।
वैसे तो सभी जल प्रपातों का दृश्य मनोरम होता है लेकिन रकसगंडा की विशेषता कुछ अलग ही है। स्थानीय निवासी दिनेश कुजूर बताते हैं कि, बरसात में यहां आकर रेण नदी कुछ ज्यादा ही उच्छृंखल हो जाती है। झरने की चौड़ाई दूर-दूर तक फैल जाती है। नदी की पूरी चौड़ाई का धूसर मटमैला पानी एक सुरंगनुमा खोह में गिरता है और तेज आवाज करती हुई नदी आगे बड़ जाती है। इसी नदी पर आगे जाकर रिहन्द बांध बना हुआ है, जो उत्तर प्रदेश की ऊर्जा का एक प्रमुख स्त्रोत है।
रकसगंडा जलप्रपात को देखने कई राज्यों से सैलानी पूरे वर्ष भर आते रहते हैं। यह वैसे भी तीन राज्यों की सीमा पर स्थित है, जिसमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश शामिल हैं। इसके अलावा यहां झारखंड, बिहार तथा हिंडाल्को एल्युमिनियम प्लांट के साथ रिहन्द बांध में बने अनेक जलताप विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत देश के कोने-कोने से कर्मी भी इसका आनंद उठाते यहां अक्सर मिल जाएंगे।
रकसगंडा कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि, अब तक यहां अनेक हादसे हो चुके हैं, कई जाने जा चुकी हैं। इसके बावजूद यहा स्थानीय लोगों की आजीविका का एक अतिरिक्त साधन भी है। बताया जाता है कि यहां मछलियां बहुत तादाद में पाई जाती हैं। ये आकार और प्रकार में दूसरी जगह मिलने साथ ही ऊंचे दामों पर बिकती हैं। आम जगहाें पर मिलने वाली मछलियों से यह मछली कई गुना बड़ी होती हैं, इसका शिकार यहां हमेशा होता है। चाहे मौसम कोई भी हो।
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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय