बंगाल में आदिवासी समाज हो रहा है वंचित, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का राज्य सरकार पर हमला
कोलकाता, 10 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में आरक्षण नीति को लेकर सियासी तापमान एक बार फिर तेज हो गया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदा
आदिवासीयों का अधिकार का हो रहा है हनन शुभेंदु ने लगाया आरोप


कोलकाता, 10 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में आरक्षण नीति को लेकर सियासी तापमान एक बार फिर तेज हो गया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदाय के लोगों को लगातार आरक्षण से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने इसे ममता बनर्जी सरकार की एक सोची-समझी नीति बताया।

शुभेंदु अधिकारी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने लाखों स्थायी पद खत्म कर दिए हैं। पिछले 10–12 वर्षो में मात्र 70–80 हजार कर्मचारियों को अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर नियुक्त किया गया है। इनमें से कई नियुक्तियां सीधे सरकार द्वारा और बाकी निजी एजेंसियों के जरिए कराई गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण प्रणाली पर सीधा प्रहार हुआ है।

शुभेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 76 मुस्लिम जातियों को ओबीसी वर्ग में अवैध तरीके से शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन वह प्रयास विफल हो गया। अब, मुख्य सचिव मनोज पंत के नेतृत्व में राज्य सरकार इस प्रक्रिया को फिर से अवैध रूप से शुरू कर रही है।

शुभेंदु के आरोपों के बीच, हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में नई ओबीसी सूची बनाने की प्रक्रिया पर स्टे ऑर्डर जारी किया है। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा और न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने आगामी सुनवाई तक राज्य सरकार के उस पोर्टल को भी अस्थायी रूप से रोक दिया है, जिसके जरिए नए प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

विपक्ष के नेता ने कहा कि तृणमूल सरकार की नीति केवल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या ओबीसी को ही नहीं, बल्कि सामान्य वर्ग को भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय