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श्रीनगर 10 जुलाई (हि.स.)। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने आज आयोजित एक बैठक में भूविज्ञान एवं खनन विभाग के कार्यों और भविष्य की रणनीतियों की व्यापक समीक्षा की।
बैठक में प्रमुख सचिव खनन, निदेशक खनन, जेके मिनरल्स के प्रबंध निदेशक के अलावा अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
विचार-विमर्श के दौरान मुख्य सचिव ने केंद्र शासित प्रदेश में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने विभाग को उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई योग्य बनाने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, आरएफआईडी टैगिंग और जियो-फेंसिंग जैसे उपकरणों के साथ-साथ रीयल-टाइम निगरानी प्रणाली विकसित करने का निर्देश दिया। उन्होंने खनन कार्यों में सख्त अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से आदतन अपराधियों के विरुद्ध पर्याप्त निवारक उपाय करने के महत्व पर ज़ोर दिया।
अटल डुल्लू ने सभी निष्क्रिय खनिज ब्लॉकों के पक्ष में आशय पत्र जारी करने में तेजी लाने का आह्वान किया और विभाग से नए चिन्हित खनिज ब्लॉकों के शीघ्र मूल्यांकन और नीलामी के लिए भारत सरकार के खान मंत्रालय के साथ सक्रिय रूप से संपर्क करने को कहा।
उन्होंने विभाग से आग्रह किया कि वह अन्य प्रगतिशील राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन और अनुकरण करे, जो खनन क्षेत्र से महत्वपूर्ण राजस्व अर्जित कर रहे हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि व्यापक सुधारों के माध्यम से खनन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय खनन सुधारों के अनुरूप जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट नियमों को शीघ्र तैयार करने पर भी ज़ोर दिया।
लघु खनिजों के लिए अधिक शुल्क वसूले जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अटल डुल्लू ने विभाग को आम जनता के लिए निर्माण सामग्री की उचित कीमत और प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने इस क्षेत्र को कुशल, जवाबदेह और अर्थव्यवस्था तथा लोगों दोनों की ज़रूरतों के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए एक अधिक पारदर्शी, नागरिक-अनुकूल और प्रौद्योगिकी-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया।
खनन विभाग के प्रमुख सचिव, अनिल कुमार सिंह ने इस बैठक में बोलते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर में नीलाम/आरक्षित कुल 233 खनिज ब्लॉकों में से 106 वर्तमान में चालू हैं जबकि 127 बंद हैं। इनमें से 60 अक्रियाशील ब्लॉकों को 31 अक्टूबर, 2025 तक क्रियाशील बनाने के प्रयास चल रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि विभाग ने चालू वित्त वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है जो वित्त वर्ष 2024-25 के 150 करोड़ रुपये से उल्लेखनीय वृद्धि है। इस लक्ष्य में प्रमुख खनिजों से 260 करोड़ रुपये और लघु खनिजों से 220 करोड़ रुपये तथा अन्य स्रोतों से 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त शामिल हैं।
प्रमुख खनिजों के संबंध में यह बताया गया कि चूना पत्थर के 48 ब्लॉकों की पहचान की गई है जिनमें 23 अक्रियाशील खनन पट्टे, 7 संभावित 10ए2(बी) मामले, और पुलवामा, पुंछ और राजौरी के साथ-साथ अनंतनाग में 3 नए चिन्हित ब्लॉक शामिल हैं। 75.597 मिलियन टन भंडार वाले पाँच चूना पत्थर ब्लॉकों की ई-नीलामी 31 अक्टूबर, 2025 तक प्रस्तावित है जिससे 260.00 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। लघु खनिज के बारे में यह बताया गया कि विभाग का लक्ष्य 31 अक्टूबर, 2025 तक 60 गैर-परिचालन ब्लॉकों को चालू करना है, जिससे 53 करोड़ रुपये का योगदान होगा। इसके अतिरिक्त एक महीने के भीतर 8 आशय पत्र जारी किए जाने हैं, और 19 ब्लॉकों की ई-नीलामी के लिए पहचान की गई है, जिनकी आरक्षित बोली को अंतिम रूप दिया गया है और तीन महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
इसके अलावा एकल खिड़की प्रणाली के तहत ई-नीलामी के लिए पहचाने गए 73 ब्लॉक संबंधित उपायुक्तों से अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो 18 अगस्त, 2025 तक प्राप्त होने की उम्मीद है जिससे 100 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व प्राप्त होगा।
रियासी में लिथियम भंडार के संबंध में यह बताया गया कि जीएसआई द्वारा की गई भूवैज्ञानिक जाँच से पता चलता है कि 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मौजूद है। इसके अतिरिक्त विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन चल रहे हैं, जिनकी अपेक्षित समाप्ति तिथि 31 दिसंबर, 2025 है।
इस बैठक में जिन अन्य खनिज संसाधनों पर चर्चा की गई उनमें नीलम (किश्तवाड़), लिग्नाइट (कुपवाड़ा), चूना पत्थर (अनंतनाग), ग्रेनाइट (डोडा और गांदरबल), क्वार्टजाइट (किश्तवाड़), डोलोमाइट (राजौरी), ग्रेफाइट (कुपवाड़ा) शामिल हैं, जिनकी खोज की समय-सीमा बैठक में विस्तार से बताई गई।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह