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जबलपुर, 18 जून (हि.स.)। हाईकोर्ट ने एनजीटी के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें राजेश अग्रवाल के साथ ही प्रदीप गोयल की फैक्ट्री को भी पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। इस मामले में एनजीटी की भोपाल पीठ ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और राजेश फायरवर्क्स समेत अन्य पक्षों के खिलाफ कार्रवाई शुरु की। इसी प्रक्रिया में प्रदीप गोयल की फर्म प्रदीप फायरवर्क्स को भी पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया, जबकि उनका कहना था कि उनका राजेश फायरवर्क्स से कोई संबंध नहीं है।
प्रदीप गोयल ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि उन्हें बिना कोई सुनवाई का मौका दिए मुआवजा देने की जिम्मेदारी में शामिल कर दिया गया है, जबकि उनकी फर्म का न तो घटनास्थल से कोई लेना-देना है और न ही राजेश अग्रवाल की फर्म से कोई व्यावसायिक संबंध है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रुपराह और अधिवक्ता आकाश मालपानी ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की ओर से जो मांग की गई है उस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने साफ किया कि यदि कोई व्यक्ति दोषी है, तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि किस आधार पर उसके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। और यदि वह निर्दोष है, तो उसे मुकदमेबाजी में घसीटना न्याय की मूल भावना के विरुद्ध है। हाईकोर्ट ने 29.05.2025 को पारित एनजीटी के आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि प्रदीप फायरवर्क्स के नाम को प्रतिवादियों की सूची से हटाने की मांग को एनजीटी अंतिम सुनवाई में गंभीरता से सुने और प्रमाणों के आधार पर ही निर्णय ले। साथ ही कहा कि यह कार्यवाही आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर पूरी की जाए। हालांकि, अब प्रदीप गोयल की इस हादसे में जिम्मेदारी दोबारा एनजीटी ही तय करेगी।
उल्लेखनीय है कि 6 फरवरी 2024 को हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे,और कई गंभीर रूप से घायल हुए थे। हादसा उस समय हुआ जब बारुद को बारीक किया जा रहा था। एक चिंगारी ने विस्फोट को जन्म दिया, जिससे फैक्ट्री आग के गोले में तब्दील हो गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक