असम में भूमि कानूनों में सुधार के लिए लैंड गवर्नेंस कमिशन गठित
असम में भूमि कानूनों में सुधार के लिए लैंड गवर्नेंस कमिशन गठित


गुवाहाटी, 15 जून (हि.स.)। असम सरकार ने राज्य की पुरानी भूमि व्यवस्था को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लैंड गवर्नेंस कमिशन का गठन किया है। यह उच्चस्तरीय आयोग सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार डेका की अध्यक्षता में कार्य करेगा।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, आयोग को 1886 के असम लैंड एंड रिवेन्यू रेगुलेशन एक्ट सहित राज्य के अन्य भूमि कानूनों की समग्र समीक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया है। इसके तहत व्यक्तिगत, सामुदायिक, ग्रामीण व वन भूमि अधिकारों के साथ-साथ शहरी भूमि प्रशासन, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और विवाद समाधान प्रणाली की भी जांच की जाएगी।

आयोग को प्रस्तावित असम लैंड गवर्नेंस बिल का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई है, जिसमें राज्य में पहली बार निष्कर्षात्मक भूमि शीर्षक प्रणाली (कनक्लूसिव लैंड टाइटनिंग) लागू करने की संभावना है।

आधुनिकीकरण को केंद्र में रखते हुए आयोग कैडस्ट्रल मैपिंग, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, भूमि मूल्यांकन और राजस्व ढांचे के अद्यतन तथा संस्थागत प्रणाली को मजबूत करने जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देगा। इसका उद्देश्य पारदर्शी, न्यायसंगत और कुशल भूमि प्रबंधन प्रणाली की स्थापना करना है।

सरकार ने नागरिकों, विधि विशेषज्ञों तथा राजस्व विभाग के वर्तमान और सेवानिवृत्त अधिकारियों से revenuedm@gmail.com पर सुझाव भेजने का आग्रह किया है, जिससे नीति निर्माण में जन भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

हालांकि, इस पहल ने आदिवासी और मूल निवासियों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। विशेष रूप से 1886 अधिनियम के अध्याय 10 में संभावित संशोधन को लेकर आशंका जताई जा रही है, जो संरक्षित आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिकारों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। जनजातीय समुदायों का मानना है कि यदि इसमें कोई बदलाव हुआ, तो उनके पारंपरिक अधिकार कमजोर हो सकते हैं।

आयोग आने वाले हफ्तों में पर्यावरण समूहों, विधि विशेषज्ञों, जनजातीय नेताओं सहित विभिन्न हितधारकों से परामर्श करेगा। इसके बाद वह अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। माना जा रहा है कि प्रस्तावित विधेयक असम की भूमि शासन प्रणाली को भविष्योन्मुखी और समावेशी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश