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नई दिल्ली, 14 जून (हि.स.)। विकलांगता क्रिकेट के उज्जवल भविष्य की रूपरेखा तय करने और खेलों में समावेशिता, समानता और पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक विशेष अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व स्तर के ब्रांड्स, खेल बोर्डों और समावेशन के पैरोकारों ने भाग लिया। इस पहल का नेतृत्व 'स्वयम्' संस्था ने किया, जो लंबे समय से खेल समेत सभी क्षेत्रों में विकलांगजनों के लिए एक समावेशी और सुलभ वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में कार्यरत है।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विकलांगता क्रिकेट को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाना था। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि खेल के जरिए सामाजिक बाधाओं को तोड़ा जा सकता है और समावेशन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे तीसरे वाइटेलिटी मिक्स्ड डिसएबिलिटी अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच का लाइव प्रसारण रहा, जिसने उपस्थितजनों को समावेशी क्रिकेट की संभावनाओं और प्रतिभा की एक प्रेरणादायक झलक दी।
भारतीय विकलांगता क्रिकेट टीम का स्क्वाड:
रवींद्र गोपीनाथ सांते (कप्तान), वीरेंद्र सिंह (उपकप्तान), विक्रांत रविंद्र केनी, राधिका प्रसाद, राजेश इरप्पा कन्नूर, योगेंद्र सिंह (विकेटकीपर), नरेंद्र मंगोरे, साई आकाश, उमर अशरफ, संजू शर्मा, अभिषेक सिंह, विवेक कुमार, विकास गणेशकुमार, प्रवीण नैलवाल, ऋषभ जैन, तरुण
रिजर्व खिलाड़ी: माजिद मैगराय, कुलदीप सिंह, कृष्णा गौड़ा, जितेन्द्र नगराजू
इन खिलाड़ियों ने न सिर्फ मैदान पर भारत का प्रतिनिधितव किया, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि 'खेल सबका है'। इस पहल से प्रेरणा लेकर अन्य खेल संगठनों और संस्थाओं के लिए भी यह एक मिसाल बन सकती है।
'स्वयम्' की संस्थापक और समावेशिता की मुखर पैरोकार सविता चौधरी ने कहा, हमारा सपना है एक ऐसा भारत और एक ऐसी दुनिया, जहां कोई भी व्यक्ति उसकी शारीरिक क्षमता के आधार पर अवसरों से वंचित न रह जाए। विकलांगता क्रिकेट इसका ज्वलंत उदाहरण है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय