भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता- सेवा प्रदाताओं और निर्यातकों को दिलाएगा बड़ा लाभ
नई दिल्ली, 06 मई (हि.स.)। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच व्यापक एवं ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पूरा हो गया है। इससे भारत को व्यापार, सेवाओं, निवेश और रोजगार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण लाभ मिलने वाले हैं। यह समझौता भारत के विकसित
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता


नई दिल्ली, 06 मई (हि.स.)। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच व्यापक एवं ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पूरा हो गया है। इससे भारत को व्यापार, सेवाओं, निवेश और रोजगार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण लाभ मिलने वाले हैं। यह समझौता भारत के विकसित भारत-2047 के दृष्टिकोण से मेल खाता है। वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत के लिए सबसे संतुलित और महत्वाकांक्षी एफटीए बताया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता किसानों, मछुआरों, एमएसएमई, स्टार्टअप और इनोवेटर्स को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ने में मदद करेगा।

मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के तहत भारत को ब्रिटेन के बाजार में लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। इससे कपड़ा, चमड़ा, जेम्स एंड ज्वैलरी, ऑटो पार्ट्स, केमिकल्स, स्पोर्ट्स गुड्स और खिलौनों जैसे क्षेत्रों के निर्यात में तेज़ी आने की उम्मीद है।

एफटीए का सबसे बड़ा लाभ सेवा क्षेत्र को होगा। आईटी/आईटीईएस, वित्तीय सेवाएं, व्यावसायिक सेवाएं और शिक्षा सेवाओं में भारतीय कंपनियों को व्यापक पहुंच मिलेगी। यह ब्रिटेन में भारतीय युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगा।

समझौते के तहत भारतीय पेशेवरों के लिए ब्रिटेन में वीजा प्रक्रियाएं आसान होंगी। बिजनेस विज़िटर, इन्वेस्टर्स, स्वतंत्र पेशेवर जैसे योग प्रशिक्षक, शेफ और संगीतकारों को खास रियायतें दी जाएंगी। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस सप्लायर्स और कंपनियों के ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों के परिवारजनों को भी काम करने का अधिकार मिलेगा।

एक अन्य बड़ी उपलब्धि यह रही कि भारत ने डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन के तहत भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा करों से तीन साल तक छूट दिलाई है। इससे भारतीय सेवा प्रदाताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और उन्हें आर्थिक लाभ होगा।

एफटीए में गैर-शुल्कीय बाधाओं को दूर करने, पारदर्शिता बढ़ाने और व्यापार नियमों में सुधार पर भी बल दिया गया है। यह भारत की कारोबारी सुगमता में सुधार की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।

करीब 60 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। यह समझौता भारत के वैश्विक आर्थिक एकीकरण को गति देगा और आने वाले वर्षों में देश को एक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा