कांग्रेस सरना धर्म कोड के नाम पर केवल कर रही है राजनीतिक ड्रामा : चंपाई साेरेन
पूर्वी सिंहभूम, 24 मई (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कांग्रेस पार्टी पर आदिवासी समाज के साथ धोखा करने का गंभीर आरोप लगाते हुए एक बार फिर तीखा हमला बोला है। साेरेन ने शनिवार काे साेशल मीडिया एक्स के माध्यम से कहा है कि कांग्रेस सरना धर्
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पूर्वी सिंहभूम, 24 मई (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कांग्रेस पार्टी पर आदिवासी समाज के साथ धोखा करने का गंभीर आरोप लगाते हुए एक बार फिर तीखा हमला बोला है। साेरेन ने शनिवार काे साेशल मीडिया एक्स के माध्यम से कहा है कि कांग्रेस सरना धर्म कोड के नाम पर केवल राजनीतिक ड्रामा कर रही है, जबकि ऐतिहासिक रूप से आदिवासियों के हितों की उपेक्षा करने में सबसे आगे रही है।

सोरेन ने याद दिलाया कि आदिवासी धर्म कोड, जो 1871 से अस्तित्व में था, उसे 1961 में कांग्रेस की सरकार ने ही हटा दिया था। इसके अलावा, 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सरना धर्म कोड की मांग को अव्यावहारिक बताते हुए ठुकरा दिया था।

उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस सरना कोड की वकालत कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने हमेशा आदिवासी समाज को ठगने का काम किया है। झारखंड आंदोलन के दौरान भी कांग्रेस ने कई बार आदिवासियों पर गोलियां चलवाईं।

उन्हाेंने ने यह भी कहा कि यदि केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार नहीं बनी होती, तो शायद झारखंड राज्य और संथाली भाषा को कभी मान्यता नहीं मिलती। उन्होंने कांग्रेस की उस भूमिका को भी याद दिलाया जब 1967 में आदिवासी नेता बाबा कार्तिक उरांव की ओर से पेश किए गए डीलिस्टिंग विधेयक को कांग्रेस सरकार ने संसदीय समिति की सिफारिशों और 348 सांसदों के समर्थन के बावजूद रोक दिया था।

पोस्ट के अंत में चंपई सोरेन ने कांग्रेस पर आदिवासी समाज को लगातार धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे अब इन मुद्दों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को देश भर के आदिवासी समाज से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक