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शिमला, 28 अप्रैल (हि.स.)। हिमाचल किसान सभा, शिमला नागरिक सभा समेत अन्य वामपंथी संगठनों ने सोमवार को शिमला के जिलाधीश कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद भूमि से बेदखली और मकानों की बाड़बंदी के खिलाफ आवाज उठाई। इस दौरान उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार को एक मांग पत्र भी सौंपा।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने कहा कि सरकार को गरीब परिवारों और लघु किसानों की जमीन से बेदखली पर तत्काल रोक लगानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन कर राज्य सरकार को वन भूमि के आवंटन का अधिकार दिया जाए, ताकि लंबे समय से काबिज किसानों को राहत मिल सके।
तंवर ने कहा कि किसानों के कब्जे में जो 5 बीघा तक की जमीन है, उसे नियमित किया जाना चाहिए। साथ ही, वन अधिकार अधिनियम, 2006 को प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में 2 बिस्वा और ग्रामीण इलाकों में 3 बिस्वा भूमि देने की घोषणा तो की गई थी, लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है।
उन्होंने बताया कि बीते बजट सत्र के दौरान, 20 मार्च को राज्यभर से आए लोगों ने विधानसभा का घेराव कर मुख्यमंत्री से अपनी समस्याएं साझा की थीं। उस समय राजस्व मंत्री ने भी एफआरए कानून, 2006 को लागू करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। तंवर ने कहा कि सोमवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों और उपमंडलों में भी इसी तरह ज्ञापन सौंपे गए हैं ताकि सरकार किसानों और वंचित वर्गों की पीड़ा को गंभीरता से ले।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा