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प्रयागराज, 28 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्पेशल अपील बेंच ने चयन बोर्ड के निदेशक को निर्देश दिया है कि वह सचिव स्तर के अधिकारी का हलफनामा दाखिल कर बताएं कि विज्ञापित पदों से उपलब्ध रिक्तियों में कमी को स्पष्ट रूप से कब दर्शाया गया। अदालत ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि एक चयनित उम्मीदवार को नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन यह भी उतना ही स्थापित है कि नियोक्ता मनमाने ढंग से कार्य नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने 15 मई 2025 की डेट केस की सुनवाई के लिए लगाई है। खंडपीठ ने 6 मार्च 2025 के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अपीलों के एक समूह की सुनवाई की। एकल न्यायाधीश ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें विज्ञापित 5723 पदों पर नियुक्ति से सम्बंधित मुद्दे उठाए गए थे।
अपीलकर्ताओं की शिकायत है कि टीजीटी-2013 विज्ञापन के तहत 5723 पद विज्ञापित किए गए थे, लेकिन चयन सूची केवल 4556 पदों के लिए तैयार की गई। शेष 1167 पदों के लिए कोई चयन सूची नहीं बनाई गई। अपीलकर्ताओं को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया। अपीलकर्ताओं का तर्क है कि उन्हें बोर्ड द्वारा तैयार की गई चयन सूची में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन 1167 पदों के लिए सूची नहीं बनने के कारण उन्हें मनमाने ढंग से नियुक्ति से वंचित कर दिया गया।
एकल न्यायाधीश ने यह देखते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया कि विभिन्न कारणों से नियुक्ति के लिए उपलब्ध रिक्तियों की संख्या कम हो गई थी। अपीलकर्ताओं ने अपील में इसे चुनौती दी है। अपीलकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि पदों की संख्या में कमी अभिलेखों की उचित जांच पर आधारित नहीं है। आयोग और निदेशक ने पदों की संख्या को कम करने में मनमानी की है। प्रतिवादी बोर्ड की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रशांत कुमार कटियार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के मामले में दिए गए आदेशों के अनुसार विभिन्न उम्मीदवारों को समायोजित करने के कारण उपलब्ध रिक्तियां कम हो गईं।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे