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पालमपुर, 22 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने एक बार फिर देश में जातिगत भेदभाव और दलितों पर बढ़ते अत्याचार पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यही सामाजिक विघटन भारत की ऐतिहासिक गुलामी का प्रमुख कारण बना था और दुर्भाग्यवश आज भी यह “महारोग” देश में मौजूद है।
शांता कुमार ने मंगलवार को एक बयान में कहा, वेद, उपनिषद, राम और कृष्ण के भारत को सदियों तक गुलामी के दिन देखने पड़े क्योंकि समाज जातियों में बंटा हुआ था। आज भी जातिगत भेदभाव के कारण दलितों को समाज में दुत्कारा जाता है और यही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी रही है। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर दिन औसतन 150 दलित अत्याचार के मामले दर्ज होते हैं। वर्ष 2024 में कुल 51,000 से अधिक केस सामने आए। उन्होंने यह भी कहा कि गरीब दलित परिवार अब भी सामाजिक समानता से वंचित हैं—घोड़ी चढ़कर शादी करने पर भी उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है।
शांता कुमार ने हिंदू समाज के नेताओं से आह्वान किया कि वे इस गंभीर समस्या पर विचार करें। उन्होंने कहा, हमने अपने ही समाज के गरीबों को दलित कह कर अलग किया, वहीं विदेशी ताकतों ने उन्हें अपनाया। इसी सामाजिक बहिष्कार के चलते लाखों लोगों ने धर्म बदला, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश बने। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा, यदि हिंदू समाज अब भी नहीं जागा, तो एक और विभाजन की नौबत आ सकती है। कट्टरपंथी मानसिकता से प्रेरित कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग चार-चार शादियां कर बीस-बीस बच्चे पैदा कर रहे हैं। इनमें से कुछ घुसपैठिए के रूप में देश में आते हैं और इस कार्य में उन्हें विदेशी फंडिंग भी मिलती है।
शांता कुमार ने चेतावनी दी कि देश के भीतर बढ़ती जनसंख्या असंतुलन और सामाजिक विघटन अगर समय रहते नहीं रोका गया तो निकट भविष्य में भारत को एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला