Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
जयपुर, 16 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य अफसरों से जुडे एकल पट्टा प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से पूर्व में पेश रिवीजन याचिका को वापस लेने के प्रार्थना पत्र पर पक्षकारों की बहस पूरी हो गई है। सीजे एमएम श्रीवास्तव ने प्रार्थना पत्र पर अपना फैसला बाद में देना तय किया है।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि पूर्व में राज्य सरकार ने एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर पूर्व आईएएस जीएस संधू सहित अन्य के खिलाफ लंबित मुकदमे को वापस लेने की गुहार की थी। जिसे एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। एसीबी कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दलील दी कि अभियोजन वापस लेने का पूर्व का निर्णय औचित्यहीन है और मौजूदा राज्य सरकार आरोपियों के खिलाफ उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर केस को आगे बढाना चाहती है। वहीं राज्य सरकार को यह अधिकार है कि यदि जांच में कोई कमी, गलती या जांच दोषपूर्ण है तो वह न्याय के लिए उस संबंध में पूर्व में लिए गए निर्णय पर भी पुनर्विचार कर सकती है। इसलिए उन्हें रिवीजन याचिका वापस लेने की मंजूरी दी जाए। इस दौरान आरोपी पक्ष की ओर से मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस राठौड की कमेटी गठन पर भी सवाल उठाया गया। गौरतलब है कि इस मामले में अदालत ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने वाले अशोक पाठक को हाईकोर्ट में पक्षकार बनाए जाने के मुद्दे पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल राज्य सरकार ने इस मामले में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा है कि एसीबी कोर्ट के समक्ष दायर क्लोजर रिपोर्ट अधूरी व दोषपूर्ण साक्ष्यों पर की गई जांच के आधार पर पेश हुई थी। इसके चलते ही पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को राहत मिली थी। मामले में जांच के लिए गठित हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस राठौड की कमेटी ने भी मामले की समीक्षा में प्रारंभिक रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां बताई हैं। इसलिए उन्हें रिवीजन याचिका को वापस लेने की मंजूरी दी जाए।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / पारीक