मुद मोद प्रमोद की अभिलाषा
- हृदयनारायण दीक्षित अभिलाषाएं अनंत हैं। सबसे बड़ी अभिलाषा आनंद प्राप्ति है, लेकिन संसार दुखमय है। मनुष्य प्राचीनकाल से ही सुखी देश में रहना चाहता है। वेदों में आदर्श राष्ट्र की सुंदर अभिलाषाएं हैं। आधुनिक राजनीति निन्दित क्षेत्र है।

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