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चंडीगढ़, 18 दिसंबर (हि.स.)। हरियाणा के कांग्रेस विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा में पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से लागू की गई जिसका खेत, उसकी रेत पॉलिसी की सराहना करते हुए हरियाणा में लागू करने की मांग की।
प्रश्नकाल के दौरान शाहबाद विधायक रामकरण काला ने यह मुद्दा उठाया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार की तर्ज पर हरियाणा में नीति बनाने की मांग उठाई। सीधे सीएम नायब सिंह सैनी से ही सवाल करते हुए हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी हां या ना में जवाब दें। मुख्यमंत्री ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। खनन एवं भूविज्ञान मंत्री कृष्ण लाल पंवार की गैर-मौजूदगी में उनकी ओर से जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि गांव काकरा और मलिकपुर से दो किसानों से रेत उठाने के प्रस्ताव दिए थे।
डीसी कुरुक्षेत्र की ओर से ये प्रस्ताव जिला खनन अधिकारी को भेजे गए। खनन अधिकारी ने इन प्रस्तावों को इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि संबंधित भूमि नदी तल क्षेत्र में आती है और राज्य खनन नियम-2012 में इसके निपटान के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती। पूर्व स्पीकर व थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार को नीति में बदलाव करके किसानों को राहत देनी चाहिए।
बेदी ने कहा कि इसके लिए पैरा-मीटर तय किए गए हैं। बाढ़ के साथ आया रेता अगर खेत में 1 से 3 इंच तक इंच का होता है तो सरकार किसानों को आवेदन करने के बाद 7 दिन में मिट्टी उठाने की अनुमति देती है लेकिन इसके बाद मुआवजा नहीं दिया जाएगा। 3 इंच से 2 फुट तक रेता अगर खेत में जमा होता है तो उसे उठाने के लिए किसानों को पंद्रह दिन का समय दिया जाता है। इसमें शर्त यह है कि इससे होने वाली कमाई का 40 प्रतिशत हिस्सा ग्राम पंचायत को देना होगा। किसान को मुआवजा भी नहीं दिया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा