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नई दिल्ली, 30 नवंबर (हि.स.)। लव जिहाद से पीड़ित महिलाओं की आपबीती पर आधारित आज एक विशेष संवाद कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आईं पीड़ित महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि किस प्रकार वे विश्वास, भावनाओं और भविष्य के सपनों के नाम पर धोखे का शिकार बनीं।
कॉस्टीट्यूशन क्लब, स्पीकर हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सहभागिता की और कहा कि सरकार ऐसे मामलों में पीड़ितों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। कार्यक्रम में डॉ. अतिरा की पुस्तक का विमोचन भी किया। यह पुस्तक पीड़ित महिलाओं की सच्ची आपबीतियों का संग्रह है। इनके अनुभव हर माता-पिता और हर युवती के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ सिद्ध होंगे। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
विश्व हिंदू परिषद व आर्ष विद्या समाजम की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भावुक हों उठीं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रेम विवाह के अनेक उदाहरण मिलते हैं किंतु भोली-भाली लड़कियों को धर्म परिवर्तन के लिए झूठे प्रेम जाल में फंसाना और मतलब पूरा हो जाने पर सूटकेस या फ्रिज में पैक कर देना ये भारत को कभी स्वीकार्य नहीं है। ऐसी पीड़ित कई बेटियां हमारे बीच हैं जिन्होंने लव जिहाद के नाम से चल रही इस घिनौने और कट्टर सोच की साजिश की परतों को उजागर किया है। इनके साहस हिम्मत और त्याग की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
उन्होंने कहा कि अपना सब-कुछ गंवाने के बाद भी समाज की दूसरी महिलाओं को लव जिहाद के नरक से बचाने की इनकी कोशिशों के लिए वह इनके आत्म बल को नमन करती हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आजाद भारत में बाबा साहेब का संविधान लागू होने के बाद सनातनी महिलाओं पर जब खुलेआम अत्याचार संभव नहीं रहा तो लव जिहाद की आड़ में महिलाओं पर अत्याचार और धर्म-परिवर्तन की सोच और कारनामे जारी रहे। कांग्रेसी और वामपंथी सरकारों से इन्हें खुली छूट मिलती रही। अपराधी कानून की आंख में धूल झोंक लाखों महिलाओं की जिंदगियों में अंधेरा करते रहे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में समाज के ऐसे षडयंत्रकारी कानून की तय की गई जगहों तक जरूर पहुंचेंगे।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी प्रकार का शोषण, चाहे वह भावनात्मक हो या शारीरिक, अपराध है और सरकार ऐसे मामलों में पीड़ितों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक मां और एक बेटी होने के नाते वह इन पीड़ित महिलाओं के दुख और संताप को केवल सुन नहीं रहीं, बल्कि भीतर तक महसूस कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने परिवारों से विशेष अपील की और कहा कि आज की बदलती परिस्थितियों में माता-पिता और अभिभावकों को बेटियों से संवाद बढ़ाना होगा, उनके मित्र बनना होगा, ताकि वे बिना भय के अपनी बात कह सकें। उन्होंने समाज से यह भी आग्रह किया कि वह बेटियों को सुरक्षित वातावरण देने की सामूहिक जिम्मेदारी निभाए।
मुख्यमंत्री ने आयोजकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे संवाद कार्यक्रम समाज को आईना दिखाते हैं और बदलाव की दिशा तय करते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली को एक सुरक्षित और संवेदनशील राजधानी बनाने के लिए सरकार, समाज और परिवार, तीनों को साथ चलना होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा