- डॉ. अंशुल उपाध्याय
आतंकवाद जाति और मज़हब के नाम पर गहरा धब्बा है। जो लोग इस कृत्य में शामिल होते हैं उनकी जीवन प्रत्याशा अपने आप कम हो जाती है। एक ओर जहां आतंकी नेटवर्क चलाने के लिए बालकों के दिमाग में ज़हर और नफ़रत भरकर उनको कम उम्र में ही इसम
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