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- हरिहर मिलन के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट-रॉकेट के उपयोग पर रहेगा प्रतिबंध
भोपाल, 02 नवंबर (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में सोमवार की रात दिव्यता और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। यहां वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर भगवान महाकाल की रजत पालकी गुदरी चौराहा और पटनी बाजार से होती हुई गोपाल मंदिर पहुंचेगी, जहां भगवान शिव और विष्णु के हरिहर मिलन की परंपरा निभाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन महाकाल भगवान सृष्टि का भार श्रीहरि विष्णु को सौंपते हैं। विशेष पूजन-अर्चना के साथ हजारों श्रद्धालु इस अनूठे मिलन के साक्षी बनेंगे। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पूरे मार्ग पर सीसीटीवी, बैरिकेडिंग और दमकल तैनात हैं।
उज्जैन कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने रविवार देर शाम आदेश जारी कर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 (1) के तहत 03 एवं 04 नवंबर की मध्य रात्रि में होने वाले हरिहर मिलन (वैकुण्ठ चतुर्दशी समारोह) के दौरान भगवान महाकालेश्वर की सवारी में आतिशबाजी एवं हिंगोट रॉकेट के उपयोग व चलाने एवं हिंगोट/रॉकेट के निर्माण कर विक्रय करने एवं संधारण करने को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया है।
जारी आदेश के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति द्वारा हरिहर मिलन समारोह के दौरान इस आदेश का उल्लघंन करता हुआ पाया जाता है तो उक्त कृत्य भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के तहत दण्डनीय अपराध होगा। उक्त आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 (1) के अंतर्गत एक पक्षीय रूप से पारित किया गया है, जो हरिहर मिलन समारोह की समाप्ति के पश्चात स्वतः निरस्त माना जाएगा।
पुराणों के अनुसार, देव शयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने चले जाते हैं, तब पृथ्वी लोक की सत्ता शिवजी के पास होती है। फिर जब देव उठनी एकादशी पर विष्णुजी जागते हैं तो बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शिवजी यह सत्ता पुनः विष्णुजी को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। इसी परंपरा को हरि-हर कहते हैं।
उज्जैन में हर साल इस परम्परा का निर्वहन किया जाता है। इस बार भी वैकुंठ चतुर्दशी पर सोमवार की रात 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में विशेष पूजन के बाद बाबा महाकाल की रजत पालकी सवारी निकलेगी। यह सवारी गुदरी चौराहा, पटनी बाजार से होकर गोपाल मंदिर पहुंचेगी। गोपाल मंदिर में भगवान श्रीहरि का विशेष पूजन होगा। महाकाल के पुजारी बिल्वपत्र की माला श्रीहरि को अर्पित करेंगे, जबकि गोपाल मंदिर के पुजारी तुलसी की माला महाकाल को समर्पित करेंगे। इसी प्रतीकात्मक क्षण में भगवान शिव सृष्टि संचालन का भार विष्णु को सौंप देते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि हरि-हर मिलन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सवारी मार्ग पर सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि सवारी मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दमकल दल तैनात हैं और प्रतिबंधित आतिशबाजी या हिंगोट फेंकने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हरिहर मिलन देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। श्रद्धालु सड़कों पर दीपदान और पुष्पवर्षा करते हुए बाबा का स्वागत करते हैं। यह दृश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सृजन और पालन की शक्तियों का अद्वितीय संगम है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर