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रांची, 02 नवंबर (हि.स.)। बड़ागांई देवोत्थान धाम परिसर में आयोजित देवोत्थान जतरा मेला हर्षोल्लास के साथ रविवार को संपन्न हुआ।
इस अवसर पर सैकडों श्रद्धालुओं ने सुबह से ही पंक्तिबद्ध होकर भगवान शिव की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की।
देवोत्थान जतरा मेला का शुभारम्भ बड़ागांई के ग्राम पुजारी रवि पहान, पूर्व सांसद रामटहल चौधरी, विश्व हिंदू परिषद झारखंड-बिहार के क्षेत्र मंत्री और मेला के संरक्षक डॉ बिरेन्द्र साहू, मुख्य संरक्षक डॉ रुद्र नारायण महतो और संरक्षक बनु पहान सहित कई अतिथियों ने भगवान शिव का पूजन-अर्चन कर किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व सांसद राम टहल चौधरी ने कहा कि बड़ागांई -बूटी देवोत्थान धाम पर जहां एक और अपने ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती है। वहीं दूसरी ओर इस स्थल पर श्रद्धालुओं का अटूट श्रद्धा बसती है। उन्होंने कहा कि जतरा मेला वर्ष में एक बार परिवार मिलन का पुरातन परंपरागत व्यवस्था है। झारखंड की संस्कृति संपूर्ण देश में नहीं अपितु विश्व को पर्यावरण संरक्षण के सार्थक पहल के लिए जाना जाता है। रामटहल ने कहा कि झारखंडी संस्कृति को बचाए रखने के लिए युवाओं का विशेष भागीदारी होना चाहिए।
जतरा मेला प्राचीन परम्परा और संस्कृतिक धरोहर : साहू
विश्व हिंदू परिषद झारखंड -बिहार के क्षेत्र मंत्री और मेला के संरक्षक डॉ बिरेन्द्र साहू ने कहा कि जतरा मेला हमारी प्राचीन परम्परा और संस्कृतिक धरोहर है। पारंपरिक नृत्य-गान और वेशभूषा से झारखंड की संस्कृति झलकती है। उन्होंने कहा कि यह जतरा देवोत्थान और प्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णुजी के जगने को लेकर 1931 में जूठन कविराज के नेतृत्व में निर्मित बूढ़ा महादेव - देवोत्थान धाम परिसर में मनाने का धरोहर है। इस पावन स्थल पर लोग शिवरात्रि पूजन, शादी- विवाह, मुंडन संस्कार के साथ साथ प्रत्येक माह अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं, जो इस स्थल की महत्ता को बढ़ाती है।
जतरा मेला में बड़ागांई पहान टोली, बड़ागांई मुंडा टोली, बेड़ो, बांधगाडी, खिजूरटोला, बूटी, किशुनपुर, महुरम टोली, लेम, लापुंग, आरा बाड़ाम गांवों के खोड़हा (नृत्य दल) पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ भगवान शिव का आराधना करते हुए अलग-अलग स्थान पर नृत्यगान प्रस्तुत कर मेले में आए सैकडों गांवों के हजारों लोगों का मनोरंजन किया।
लोगों ने पारंपरिक नचनी नृत्य का भी आनंद लिया। युवा- युवतियों ने आधुनिक आर्केस्ट्रा एवं नागपुरी गीत कलाकारों की ओर से गाए हुए गीतों पर भी घंटों झूमते रहे। बच्चों ने झूला का भरपूर आनंद लिया। वहीं पारंपरिक मिठाई, खिलौना, गुपचुप, आइसक्रीम, ईख, सौंदर्य प्रसाधनों की जमकर खरीदारी हुई।
मेला में मुख्य संरक्षक डॉ रुद्रनारायण महतो, बनु पहान, संरक्षक डॉ बिरेन्द्र साहु, अध्यक्ष नेपाल महतो, सचिव प्रेम लोहार, कोषाध्यक्ष अजय कुमार महतो, बालसाय महतो सहित अन्य की मुख्य भूमिका रही।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे