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काेटा, 25 अक्टूबर (हि.स.)। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के शुभ अवसर पर भारतीय रेलवे ने एक अभिनव पहल की है। यात्रियों को त्योहार की भावना से जोड़ने और यात्रा को और भी सुखद बनाने के उद्देश्य से रेलवे ने देशभर के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर छठ पूजा के पारंपरिक गीतों का प्रसारण प्रारंभ किया है। यात्रियों का कहना है कि स्टेशन पर गूंज रहे “केलवा के पात पर उगेलन सुरुजदेव” और “काँच ही बाँस के बहंगिया” जैसे गीत उन्हें अपने घर और आस्था से जुड़ने का एहसास करा रहे हैं।
कोटा मंडल ने भी इस सांस्कृतिक पहल को अपनाते हुए यात्रियों के सफर को भावनात्मक रंग दिया है। मंडल के कोटा एवं सोगरिया रेलवे स्टेशनों पर बिहार की दिशा में प्रस्थान करने वाली छठ पूजा विशेष ट्रेनों के रवाना होने से पूर्व स्टेशन परिसर में छठ पूजा के पारंपरिक गीतों का प्रसारण किया जा रहा है। “छठी मइया के करब हम वरतिया” और “मांगेला हम वरदान हे गंगा मइया” जैसे गीतों से स्टेशन परिसर भक्ति और उल्लास से गूंज रहा है। इससे यात्रियों को न केवल अपने घर की याद ताजा हो रही है, बल्कि त्योहार की पवित्रता और भावनात्मक माहौल का भी अनुभव हो रहा है।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक-जन सम्पर्क अधिकारी, कोटा सौरभ जैन के अनुसार रेलवे प्रशासन ने इस पहल के साथ यात्रियों की सुविधा के लिए भी कई इंतज़ाम किए हैं। प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों के लिए प्रतीक्षा स्थल बनाए गए हैं, जहां वे अपनी ट्रेनों का इंतज़ार आराम से कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आरपीएफ कर्मियों की अतिरिक्त तैनाती और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था भी की गई है।
यह पहली बार है जब भारतीय रेल ने किसी त्योहार के अवसर पर स्टेशन उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से भक्ति गीतों का प्रसारण आरंभ किया है। विशेष रूप से बिहार एवं उत्तर भारत की दिशा में यात्रा करने वाले यात्री इस प्रयास से गहरी भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। महिला यात्रियों ने इसे घर जैसी अनुभूति बताते हुए रेलवे की इस पहल की सराहना की है।
हर वर्ष छठ पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने गृह प्रदेश लौटते हैं। इस वर्ष रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए 12,000 से अधिक विशेष ट्रेनों का संचालन करते हुए अतिरिक्त भीड़ को सफलतापूर्वक संभाला है, लेकिन इस बार स्टेशन परिसर में छठ गीतों के माध्यम से यात्रियों का स्वागत करना एक नया और सराहनीय प्रयोग है, जिसने इस त्योहार को और भी यादगार बना दिया है।
रेल प्रशासन का कहना है कि यह पहल न केवल यात्रियों के लिए यात्रा अनुभव को भक्ति और उल्लास से भर रही है, बल्कि बिहार और पूर्वी भारत की लोक संस्कृति को देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने का भी एक सुंदर माध्यम बन गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव