पत्नी के ट्रांसफर के लिए स्कूटी पर निकला दिव्यांग पति
पत्नी के तबादले की इच्छा।


जैसलमेर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। जैसलमेर से एक मार्मिक उदाहरण सामने आया है, जहां एक दिव्यांग पति अपनी दिव्यांग पत्नी के तबादले की मांग को लेकर 735 किलोमीटर की यात्रा स्कूटी से तय करने निकला है। अनु रंगा नामक यह युवक अपनी पत्नी बीना रंगा के स्थानांतरण को लेकर जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलने जा रहा है।

अनु रंगा ने शुक्रवार 24 अक्टूबर की दोपहर जैसलमेर के गीता आश्रम से स्कूटी यात्रा शुरू की। उनके साथ उनके मित्र कमल भी हैं, जो यात्रा के दौरान सहयोग कर रहे हैं। अनु रंगा पोकरण, रामदेवरा, फलोदी और नागौर होते हुए 26 अक्टूबर को जयपुर पहुंचेंगे और 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास करेंगे।

अनु रंगा और उनकी पत्नी बीना रंगा दोनों पैर से दिव्यांग हैं। बीना रंगा की नियुक्ति साल 2019 में ग्रेड थर्ड टीचर के पद पर हुई थी और वे बांसवाड़ा जिले के सेमलिया उच्च प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ हैं। जैसलमेर से यह दूरी करीब 735 किलोमीटर है।

दंपती की 13 महीने की बच्ची है, जो इस समय मां के साथ बांसवाड़ा में रहती है। अनु रंगा ने बताया कि वे जैसलमेर में आरओ का छोटा व्यवसाय करते हैं, लेकिन पत्नी और बच्ची से इतनी दूर रहना उनके लिए बहुत कठिन हो गया है।

उन्होंने कहा कि चार सालों से हम अलग-अलग जिलों में हैं। यह न केवल हमारे लिए, बल्कि हमारी छोटी बच्ची के लिए भी बेहद कठिन है। मैंने कई बार शिक्षा विभाग और सरकार से अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मैं मुख्यमंत्री से मिलकर अंतिम बार अपनी बात रखना चाहता हूं।

अनु रंगा ने दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पत्नी का तबादला नहीं होता, तो वे जयपुर से वापस नहीं आएंगे।

उन्हाेंने बताया कि मैं मुख्यमंत्री से मिलकर संवेदनशीलता के साथ अपनी बात रखूंगा। अगर तबादला नहीं हुआ तो मैं सीएम हाउस के बाहर फुटपाथ पर ही रहूंगा। अनु रंगा के साथ उनके पड़ोसी और मित्र कमल भी यात्रा पर निकले हैं। उनका कहना है कि अनु रंगा और उनकी पत्नी का संघर्ष सिर्फ उनका निजी मामला नहीं, बल्कि उन सैकड़ों शिक्षकों की आवाज है, जो अपने गृह जिलों में तबादले का इंतजार कर रहे हैं।

अनु रंगा ने कहा कि सरकार ने ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगा रखी है, जिससे कई परिवार अलग-अलग जिलों में बंटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह यात्रा सरकार और समाज दोनों से संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की अपील है।

हम अपनी मांगों को केवल कागज पर नहीं, बल्कि अपने संघर्ष से साबित करना चाहते हैं। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हमारी बात सुनेंगे और शिक्षकों की इस समस्या का मानवीय समाधान निकालेंगे। रंगा की यह यात्रा अब स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है। कई शिक्षक संगठनों ने भी उनके समर्थन में आवाज उठाई है और सरकार से अनुरोध किया है कि बीना रंगा का तबादला जैसलमेर किया जाए, ताकि यह परिवार एक साथ रह सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित