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नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (हि.स)। जनजातीय व्यवसाय सम्मेलन 2025 यहां के यशोभूमि में 12 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) जनजातीय मामलों के मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
डीपीआईआईटी के मुताबिक इसका उद्देश्य राष्ट्र की विकास यात्रा में एक परिवर्तनकारी मील का पत्थर साबित होगा। यह एक ऐसी पहल है जो पूरे भारत में जनजातीय उद्यमियों को सशक्त बनाकर समावेशी, नवाचार-संचालित और सतत विकास को बढ़ावा देती है।
बयान में बताया गया है कि वर्ष 2025 का विशेष महत्व है, क्योंकि राष्ट्र भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है, जिनके सत्यनिष्ठा, नवाचार और आत्मनिर्भरता के आदर्श न्याय और विकास की ओर भारत की यात्रा को प्रेरित करते हैं। यह सम्मेलन उनकी चिरस्थायी विरासत और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक उद्यमशीलता ढाँचों से जोड़ने की महत्वपूर्ण भूमिका को श्रद्धांजलि है, जिसे वर्ष भर चलने वाली राष्ट्रीय परियोजनाओं और समारोहों द्वारा समर्थित किया जाता है।
सम्मेलन की खास बातें-
रूट्स टू राइज़ (प्रस्तुति सत्र):- जनजातीय उद्यमियों के लिए निवेशकों, सीएसआर नेताओं और सरकारी निकायों के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए एक अनूठा मंच, जो मार्गदर्शन, वित्तपोषण और इनक्यूबेशन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
ज्ञान सत्र:- वित्त, ब्रांडिंग, समावेशी विकास और उद्यमिता क्षमता निर्माण पर उद्योग विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं द्वारा पैनल और मास्टरक्लास की सुविधा।
सीईओ फोरम:- नवाचार, कौशल विकास, स्थिरता और बाजार पहुँच के लिए रणनीतियों को आकार देने वाला नेतृत्व संवाद।
प्रदर्शनी और मंडप:- 100 से अधिक जनजातीय स्टार्टअप और सूक्ष्म उद्यम अपने शिल्प, कृषि-उत्पाद, वनोपज और हरित प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत करेंगे।
क्रेता-विक्रेता बैठकें:- ऐसे सत्र जो आदिवासी उत्पादकों को सीधे कॉर्पोरेट और सरकारी खरीद से जोड़ते हैं और दीर्घकालिक साझेदारियों को बढ़ावा देते हैं।
डीपीआईआईट के मुताबिक यह कॉन्क्लेव आदिवासी उद्यमिता और नवाचार को मुख्यधारा में लाने, स्वदेशी उत्पादों के लिए ब्रांडिंग और बाज़ार पहुंच को बढ़ाने, आदिवासी समुदायों के लिए क्षमता निर्माण और कौशल विकास को प्राप्त करने और मज़बूत बाज़ार संपर्क, वित्त तक सुगम पहुंच और अधिक निवेश के अवसरों को सुगम बनाने के लिए तैयार है।
इस सम्मेलन के प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में फिक्की, स्टार्टअप इंडिया और एमएसएमई क्लस्टर्स फाउंडेशन शामिल हैं, जो जमीनी स्तर पर नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत मंच सुनिश्चित करते हैं। फिक्की को उद्योग भागीदार और प्रयोग फाउंडेशन को ज्ञान भागीदार नामित किया गया है। इस कार्यक्रम में कॉन्क्लेव के लोगो, थीम और डिजिटल परिसंपत्तियों का अनावरण भी किया गया, जो परंपरा, उद्यमशीलता और नवाचार के अभिसरण का प्रतीक है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर