घोष केवल संगीत और वादन नहीं, यह साधना है
- नितिन गर्गे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जब भी पथ संचलन निकलता है, तब घोष उसका सौंदर्य बढ़ाता है। संघ कार्य का यह शताब्दी वर्ष है। इन 100 वर्षों में जिस प्रकार संघ का क्रमिक विकास हुआ है, उसी प्रकार संघ के घोष का भी क्रमिक विकास हुआ है। दिसंबर, 192

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