आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को लगा झटका
पांच साल में 45 करोड़ रुपये खर्च फिर भी समूह की महिलाएं बेरोजगार हमीरपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। हमीरपुर जिले में आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की केन्द्र सरकार की योजना को यहां बड़ा झटका लगा है। पिछले पांच सालों में सरकार ने आधी आबादी का जीवन बदलने के लिए
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पांच साल में 45 करोड़ रुपये खर्च फिर भी समूह की महिलाएं बेरोजगार

हमीरपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। हमीरपुर जिले में आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की केन्द्र सरकार की योजना को यहां बड़ा झटका लगा है। पिछले पांच सालों में सरकार ने आधी आबादी का जीवन बदलने के लिए करीब 45 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की बावजूद स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी आधी आबादी का जीवन आज भी बदहाल है। ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाएं घर का खर्च चलाने के लिए फावड़े चलाने को विवश हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में गांवों में समूह बनाकर गरीब महिलाओं को संगठित कर खेतीबाड़ी, कुटीर उद्योग, सिलाई की दुकान या अन्य कोई रोजगार शुरू कर आर्थिक रूप से मजबूत करने की सरकार ने योजना शुरू की थी। स्वयं सहायता समूहों को बैंकों से लोन लेकर समूहों ने काम भी शुरू किया, लेकिन समूहों से जुड़ी महिलाओं की दशा नहीं बदल सकी।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मैनेजर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि आमदनी होने के बाद धनराशि समूहों के खाते में वापस जमा करने का प्रावधान रखा गया था। लेकिन समूहों के जरिए खाते में जमा की गई धनराशि का ब्यौरा विभाग के पास नहीं है। बताया कि जिले में पांच सालों मे 7964 स्वयं सहायता समूह बनाए गए थे जिसमें 90 हजार से अधिक महिलाएं जोड़ी गई थी। बताया कि समूहों को आगे बढ़ाने के लिए शासन स्तर से फंड मिलता रहता है लेकिन यहां बैंकों से समूहों को लोन देने में आनाकानी करती है। बताया कि बैंकों को बीस लाख रुपये तक लोन समूहों को दे सकती है। बताया कि समूहों फिलहाल गांव स्तर पर रोजगार कर रहे। उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

रोजगार बढ़ाने के लिए बैंकें भी नहीं करती है सहयोग

सिद्धा बाबा स्वयं सहायता समूह की संचालक अंजू देवी का कहना है कि पांच साल पहले दस महिलाओं को संगठित कर समूह बनाया था। खाते में सवा लाख रुपये आए थे। रोजगार बढ़ाने के लिए कोई सहायता नहीं मिल रही है। जिला मिशन मैनेजर प्रशांत मिश्रा ने बुधवार को बताया कि समूह धन लेने के बाद वह बैंक में जमा करते है या नहीं इसका ब्यौरा विभाग के पास नहीं है। बताया कि शासन स्तर से समूहों को धन मिलता है लेकिन बैंक स्तर से लोन समूहों को नहीं दिया जा रहा है।

स्वयं सहायता समूहों पर सरकार ने की धन की बारिश

हमीरपुर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक करीब आठ हजार समूहों में नब्बे हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी थी जिसमें 3855 समूहों को रिवाल्विंग फंड से 5.78 करोड़ रुपये दिए गए थे। जबकि साढ़े तीन हजार से अधिक समूहों को कम्प्यूनिटी इनवेस्टमेंट फंड से 39.12 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई थी। लेकिन इनमें कुछ ही समूहों ने लोन लेकर अपना रोजगार शुरू किया था। तमाम समूहों से जुड़ी महिलाओं बड़े स्तर पर काम नहीं कर पा रही है।

7964 बनाए गए समूह, बावजूद ग्रामीण महिलाएं बेरोजगार

मिशन के तहत समूहों बनाने की जिम्मेवारी ब्लाक मिशन मैनेजर पर होती है कि वह दस महिलाओं का एक समूह बनाकर बैंक में खाते खुलवाए जाए। समूहों के खाते में धनराशि आने के बाद समूहों से जुड़ी महिलाएं संगठित होकर काम करती है। बैंकें भी समूहों को रोजगार शुरू करने के लिए लोन देती है लेकिन तमाम ऐसे मामले में है बैंकें लोन ही नहीं देती है। इसीलिए हजारों की संख्या में बनाए गए समूह नाम के रह गए है। इनसे जुड़ी तमाम गरीब महिलाएं आज भी परिवार के लिए फावड़ें चला रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा / राजेश