ईरान-इजराइल संघर्ष और भारतीय अर्थव्यवस्था
डॉ. अनिल कुमार निगम क्या आप जानते हैं कि ईरान और इजराइल के बीच होने वाले संघर्ष सबसे ज्यादा असर भार
डॉ. अनिल कुमार निगम


डॉ. अनिल कुमार निगम

क्या आप जानते हैं कि ईरान और इजराइल के बीच होने वाले संघर्ष सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ने वाला है। अगर इन दोनों देशों के बीच संघर्ष लंबा खिंचता है तो डॉलर में मजबूती आएगी और भारतीय रुपया कमजोर हो जाएगा। इससे विश्व में तो मुद्रास्फीति बढ़ेगी लेकिन भारत में न केवल महंगाई बहुत अधिक बढ़ जाएगी बल्कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

दरअसल, पश्चिम एशिया में तनाव तो उसी समय बढ़ गया था जब हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर हमला कर दिया था। उसके बाद इजराइल ने गाजा पटटी पर हमास ने तबाड़तोड़ हमले किए। लेकिन जिस तरीके से इजराइल ने 1 अप्रैल 2024 को सीरिया स्थित ईरान के दूतावास पर हमला किया, उससे पश्चिम एशिया में तनाव गहरा गया । ईरान ने इसकी प्रतिक्रिया इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन से सीधा हमला कर दिया। उसके बाद इजराइल ने ईरान पर जवाबी हमला किया। इस संघर्ष के चलते पश्चिम एशिया में तो जबरदस्त तनाव तो है लेकिन इस संघर्ष का असर भारत सहित संपूर्ण विश्व पर पड़ना तय है।

हम यह भलीभांति जानते हैं कि आज अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन जैसे देश अपने हथियारों के व्यापार को चमकाने के लिए किसी न किसी के साथ खड़े हैं। इन देशों की विदेश और रक्षा नीति में यह रणनीति और मंशा होती है कि विश्व में कहीं न कहीं युद्ध चलता रहने चाहिए ताकि उनके हथियारों की आपूर्ति ऐसे देशों में होती रहे और उनके देश की अर्थव्यवस्था सशक्त बनी रहे।

इजराइल व ईरान के बीच युद्ध का इन दोनों देशों पर तो विपरीत असर पड़ेगा लेकिन इन दोनों देशों के बाद इसका सबसे प्रतिकूल असर भारत में कच्चे तेल की कीमतों पर वृद्धि के तौर पर पड़ेगा। आज भारत कच्चे तेल का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। विश्व को कुल कच्चे तेल का एक-तिहाई हिस्सा पश्चिम एशिया से ही मिलता है। ईरान और इजराइल के बीच चलने वाले संघर्ष के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगी हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के कारण परिवहन महंगा हो जाता है और इसका सीधा असर अन्य उत्पादों की कीमतों पर पड़ने लगता है। अगर यह संघर्ष लंबा चला तो डॉलर की स्थिति मजबूत होगी और भारतीय रुपया कमजोर हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि ईरान लेबनान में हिजबुल्ला, यमन में हूती और फिलिस्तीन में हमास आतंकी संगठनों को समर्थन देता है और समय-समय पर वह उनकी मदद भी लेता है। ऐसी स्थिति में ईरान इन संगठनों की मदद फारस खाड़ी से खुले महासागर में जाने वाले एक मात्र समुद्री स्ट्रेट को बाधित कर सकता है। और अगर ऐसा होता है तो वैश्विक स्तर पर व्यापारिक आवागमन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ना भी तय है।

इस बात में सोलह आने सत्यता है कि विगत दस वर्षों से इजराइल के साथ भारत के काफी घनिष्ठ संबंध रहे हैं। इजराइल भारत को आतंकवाद के खिलाफ सहयोग देता रहा है। भारत इजराइल से रक्षा उपकरणों की भी आपूर्ति लेता रहा है। इजराइल भारत का एशिया में दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक दोस्त है। इजराइल में लगभग 20 हजार भारतीय रहते हैं। वहां पर साफ्टवेयर प्रोफेशनल्स, हीरा व्यापारी, स्टूडेंट्स और मजदूर रहते हैं। जब हमास से संघर्ष के बाद इजराइल ने फिलिस्तीनियों के अपने देश में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया तो भारत ने अनेक भारतीय यहां से भेजे जो इजराइल में बुजुर्गों की देखभाल कर रहे हैं। इसके अलावा भारत में भी भारी संख्या में यहूदी रहते हैं। इसलिए भारत के लिए इजराइल बहुत अहम है।

दूसरी ओर भारत ईरान का बहुत पुराना मित्र देश है। भारत ईरान से कच्चा तेल तो आयात करता रहा है। पूर्व सोवियत गणराज्य के हिस्सा रहे एशियाई देश कजाकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देशों में हाईड्रोकार्बन के भंडार हैं। भारत को इन संसाधनों तक पहुंचने और इन देशों से मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए रखने के लिए ईरान से जाने वाली मार्ग की आवश्यकता होती है। हालांकि ईरान द्वारा इस्राइल पर हमला करने के बाद अमेरिका ने ईरान के खिलाफ तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसलिए भारत ईरान से तेल खरीदने में हिचकिचा रहा है।

लेकिन, अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद चीन ईरान से कच्चा तेल खरीद रहा है। हमने यह भी देखा था कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन भारत ने इस पर स्वतंत्र निर्णय लेते हुए अपने पुराने मित्र देश रूस से कच्चा तेल खरीदना नहीं बंद किया। चूंकि भारत के लिए इजराइल और ईरान दोनों महत्वपूर्ण हैं। इसलिए उसे दोनों ही पलड़ों के बीच समन्वय एवं संतुलन बनाकर चलना पड़ेगा ताकि पश्चिम एशिया में होने वाले इस संघर्ष से भारत को कम से कम आर्थिक नुकसान हो।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद