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खूंटी, 26 अप्रैल (हि.स.)। वैसे तो भगवान भोलनाथ को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग इलाकों में कई तरह के अनुष्ठान किए जाते है, पर शैव भक्ति की जितनी कष्टसाध्य आराधना पंडा पर्व है, उतना कष्ट सामान्य पूजा-अर्चना में देखने को नहीं मिलता।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के बाद से ही पूरे झारखंड में भगवान भोलेनाथ की कष्ट साध्य आराधना का पर्व मंडा शुरू हो जाता है, जो पूरे ज्येष्ठ महीने तक चलता है। यह ऐसा सार्वजनिक अनुष्ठान है, जिसमें न कोई जात भेद होता और न ही मंत्रोच्चार की जरूरत है। भक्त भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ अपने शरीर को कष्ट देते हैं। मंडा अनुष्ठान कहीं-कहीं नौ दिनों का होता है, तो कही तीन दिनों का। भगवान शंकर का वरदान पाने के लिए भक्त जिन्हें भोक्ता कहा जाता है, अनुष्ठान पूरा होने तक अपना घर-परिवार त्याग कर किसी शिवालय में शरण लेते हैं।
इस दौरान वे 24 घंटे में सिर्फ एक बार फलाहार करते हैं। मंडा पर्व ऐसा अनुष्ठान होता है, जहां जनजातीय और अनुसूचित जाति समुदाय के लोग काफी संख्या में भाग लेते हैं। झारखंड के अलग-अलग गांवों में अलग-अलग तिथियों में मंडा पर्व मनाया जाता है। हालांकि इसका अनुष्ठान सभी गांवों में नहीं होता। जिस परिवार से कोई भोक्ता मंडा अनुष्ठान में शामिल होता है, तो उसके पूरे परिवार और निकट के रिश्तेदारों मांस-मदिरा का सेवन पूरी तरह बंद हो जाता है।
ऐस ही नौ दिवसीय कष्टसाध्य मंडा पर्व शुक्रवार को तोरपा में संपन्न हो गया। सुबह से लेकर शाम तक निराहार रहकर और दहकते अंगारों में नंगे पाव चलकर भगवान भोलेनाथ की भक्ति का परिचय देते हुए 20 फीट ऊंचे झूले में झूलकर मंडा पूजा का समापन हुआ। मंडा पूजा के अंतिम दिन बडाईक टोली स्थित शिवालय परिसर में भक्तों और श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा। मंडा पूजा समिति तोरपा के तत्वावधान मे आयोजित लोटन सेवा, धुंआसी, फूलखंदी और झूलन के साथ संपन्न हो गया। धार्मिक अनुष्ठान पुजारी श्याम सुंदर कर और पाट भोक्ता धन सिंह महतो की अगुवाई में किया गया। फूलखंदी के तहत शिवभक्तों ने नंगे पाव दहकते अंगारों के बीच चलकर अपनी भक्ति और आस्था का परिचय दिया।
वहीं झूलन के दौरान झूलते हुए शिवभक्तों ने श्रद्धालुओं के बीच आस्था के फूल बरसाए, जिसे पाने की होड़ महिलाओं के बीच मची रही। इसके बाद लोगों में प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय बड़ाईक, उपेंद्र साहू, राजेश नायक, मनु नायक लखन साहू देवनंदन साहू सहित आदि ने योगदान दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल