पीएसएजेके ने शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने का आरोप लगाया
जम्मू, 26 अप्रैल (हि.स.)। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर (पीएसएजेके) ने आरोप लगाया है क
पीएसएजेके ने शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने का आरोप लगाया


जम्मू, 26 अप्रैल (हि.स.)। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर (पीएसएजेके) ने आरोप लगाया है कि निजी शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ व्यक्ति, माता-पिता का प्रतिनिधित्व करने का झूठा दावा करते हुए, दुर्भावनापूर्ण हमलों और भ्रामक सूचना अभियानों का सहारा ले रहे हैं। पीएसएजेके के प्रवक्ता ने कहा, हम ऐसे निराधार आरोपों की निंदा करते हैं जो हमारे स्कूलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं। न केवल निजी स्कूल, बल्कि ये व्यक्ति सरकारी अधिकारियों और एफएफआरसी जैसे आधिकारिक निकायों को भी अपमानित कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि पीएसएजेके अपने आदेशों से मतभेद होने के बावजूद शुल्क निर्धारण और विनियमन समिति (एफएफआरसी) को एक वैध निकाय के रूप में स्वीकार करता है। ये निर्देश, अक्सर निजी स्कूलों के दृष्टिकोण पर विचार किए बिना जारी किए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई स्कूल बंद हो गए हैं। निजी स्कूलों को एफएफआरसी, स्कूल शिक्षा निदेशक और नागरिक प्रशासन सहित विभिन्न संस्थाओं से लगातार नियमों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके बावजूद वह समिति का सम्मान करते हैं।

प्रवक्ता ने जोर देकर कहा, देश के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी कम फीस के साथ कश्मीर के शिक्षा क्षेत्र पर निजी स्कूलों के सकारात्मक प्रभाव को नजरअंदाज किया जा रहा है। इन संस्थानों ने शिक्षा में क्रांति ला दी है, फिर भी उनके योगदान को मान्यता नहीं दी गई है। पीएसएजेके निजी स्कूलों के सामने आने वाली समस्याओं को भी आगे रखा जिसमे उनके अनुसार व्यापक दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताएं, एनओसी प्राप्त करना, और करों और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, जब माता-पिता फीस देने में चूक करते हैं, तो स्कूलों को एक अनिश्चित स्थिति में छोड़ दिया जाता है, जिसमें सहारा लेने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं होता है। इन चुनौतियों के बावजूद, निजी स्कूलों ने समर्पित समितियों के माध्यम से मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की है। इन समितियों को सरकार द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली लोग सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करते हैं, शुल्क संरचनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं और अधिकारियों पर अनुचित कार्यों के लिए दबाव डालते हैं। मामूली मुद्दों पर ब्लैकमेलिंग के प्रयासों सहित उनकी रणनीति, शिक्षा क्षेत्र में अराजकता पैदा करती है।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान