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कोलकाता, 17 अप्रैल (हि.स.)। महानगर कोलकाता का चर्चित जादवपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर सवालों के घेरे में है। यहां विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पहले तो रामनवमी के आयोजन की अनुमति दी और बाद में वामपंथी छात्र संगठनों के दबाव में इस अनुमति को वापस भी ले लिया। 16 अप्रैल को, जादवपुर विश्वविद्यालय ने अनुमति वापस ले जबकि एक दिन पहले 15 अप्रैल को ही सहमति दी थी। रजिस्ट्रार की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि छात्रों के दबाव के बीच अनुमति रद्द कर दी गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, कई वामपंथी छात्रों ने 16 अप्रैल को देर रात तक अरबिंदो भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों से अनुमति रद्द करने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि यह परिसर में सद्भाव को प्रभावित करेगा और दरारें पैदा करेगा।
प्रदर्शनकारी छात्रों के अनुसार, रामनवमी सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि विभाजनकारी राजनीति से जुड़ा है।
नोटिस में कहा गया है कि अनुमति तीन आधारों पर रद्द की जा रही है। सबसे पहले, विश्वविद्यालय को कुछ छात्रों से आवेदकों की सूची में फर्जी नाम के बारे में लिखित शिकायतें मिलीं। दूसरे, विश्वविद्यालय में छात्रों के विभिन्न समूहों से सांप्रदायिक खतरों की लिखित शिकायतें प्राप्त हुईं, जिससे परिसर के भीतर शांति और सद्भाव में व्यवधान हो सकता है। तीसरा, मार्च 2024 में, पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए कहा। अगर शांति व्यवस्था बाधित होती तो नियमों का उल्लंघन होता है इसीलिए अनुमति रद्द की जा रही है।
जेयू के एक अधिकारी ने कहा कि बुधवार को गेट-3 के पास परिसर में सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक राम नवमी मनाने के लिए अनापत्ति दी गई थी। हालांकि, अनुमति एक दिन बाद ही रद्द कर दी गई।
आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के सदस्य और रामनवमी समारोह के लिए अनुमति मांगने वाले समूह का नेतृत्व करने वाले छात्र आदित्य पाले ने कहा कि वे निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भगवान राम की पूजा किए हैं और प्रसाद वितरित किए हैं। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा