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- श्रीगीता भागवत सत्संग सप्ताह के दूसरे दिन कथा व्यास ने बताया सद्गुरु का महत्व
मुरादाबाद, 29 मार्च (हि.स.)। स्वयंवर बैंकट हॉल रामगंगा विहार में आयोजित श्रीगीता भागवत सत्संग सप्ताह के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास धीरशांत दास ‘अर्द्धमौनी’ ने बताया कि कलियुग में भगवान की प्राप्ति सद्गुरु की कृपा से होती है। गुरु अज्ञान रूपी अन्धकार को ज्ञान की शलाका से दूर कर देते हैं। जिससे मनुष्य भगवान की शरणागति को प्राप्त करता है।
धीरशांत दास ‘अर्द्धमौनी’ ने कहा कि चौरासी लाख योनियों में मनुष्य जन्म सर्वोच्च है। मानव जीवन में भगवान श्रीहरि को रिझाकर उनकी कृपा प्राप्त करना ही चरम लक्ष्य है। संसार में भगवद्भक्ति के समान मूल्यवान कोई चीज नहीं है। जल्दबाजी में कोई कार्य नहीं करना चाहिए क्यूंकि बिना सोचे किया गया कार्य घर में विपत्तियों को आमंत्रण देता हैं। जो व्यक्ति सहजता से सोच समझ कर विचार करके अपना काम करते हैं लक्ष्मी स्वयम ही उनका चुनाव कर लेती हैं।
कथा वाचक ने कहा कि अंत समय में मनुष्य जिस जिसका चिन्तन करता है, शरीर छोड़ने के बाद उस उसको प्राप्त हो जाता है। इस विधान में भगवान की कितनी उदारता भरी हुई है कि अन्त समय में जैसे हरिण का चिन्तन होने से भरतमुनि को हरिण की योनि प्राप्त हो गयी, ऐसे ही भगवान् का चिन्तन होने से भगवान्की प्राप्ति हो जाती है। जिस अन्तिम चिन्तन से हरिण आदि योनियों की प्राप्ति होती है, उसी चिन्तन से भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। भगवान की इस उदारता का कोई पारावार नहीं है।
सत्संग में राजू मदान, पंकज माथुर, सुशील सेठ, रितु साहनी, साध्वी वन्दना, राज मदान, संजय मदान, महन्त गुरविंदर सिंह, संजीव वर्मा, पूनम गुलाटी, विनीत शर्मा, गिरधर पाण्डेय, अखिलेश मिश्रा आदि रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/निमित/मोहित