प्रेम केवल भगवान से, शेष सांसारिक मोहः विज्ञानानंद
हरिद्वार, 28 मार्च (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सर
स्वामी विज्ञानानंद


हरिद्वार, 28 मार्च (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि प्रेम केवल भगवान से होता है, जबकि सांसारिक संबंध मोह पर आधारित हैं। वे आज दक्ष नगरी के विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में वेदपाठी बटुकों और भक्तों को वेदांत की दीक्षा दे रहे थे।

भक्त और भगवान के बीच में स्थापित प्रेम संबंधों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति का सच्चा स्नेहा केवल भगवान और गुरु से ही होता है, क्योंकि गुरु और भगवान ही दिल से आशीर्वाद देते हैं, जबकि माता-पिता का अपने पुत्र और संतान का अपने अभिभावकों के प्रति प्रेम में मोह का दर्शन होता है। सांसारिक संबंधों को मोह-माया का बंधन बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान और गुरु ही अपने अनुयायियों के सच्चे हितैषी होते हैं।

याग्वलक्य और गार्गी का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल के स्नेह और वर्तमान के आई लव यू में प्रेम और मोह का स्पष्ट दर्शन हो रहा है। शबरी, मीरा एवं प्रहलाद के भगवान के प्रति प्रेम संबंधों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि जिसका जिसके प्रति सच्चा स्नेह होता है वह उसे अवश्य मिलता है। शिव-पार्वती, हों या रुक्मणी-कृष्ण यह सभी सच्चे स्नेह के आधार पर इतिहास पुरुष बने और स्नेह की पाठशाला गुरु के चरणों से ही प्रारंभ होती है।

प्रेम की प्रासंगिकता को वर्तमान परिपेक्ष से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी अंतर्रात्मा का स्वामी होता है और अंतरात्मा की आवाज पर किया गया स्नेह सकारात्मक परिणामदायी होता है। उन्होंने भारतीय संविधान और संस्कृति को विश्व में सर्वोत्तम बताते हुए कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है और समस्त भारत वासियों को अपने दायित्व का निर्वाह अवश्य करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज