आने वाले समय में देश हाइड्रोजन का हब बनेगा: डॉ. वी.के. सारस्वत
देहरादून, 27 अप्रैल (हि.स.)। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत ने कहा कि आने वाले समय में देश व
नीति आयोग के सदस्य डॉ बीके सरस्वत।


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देहरादून, 27 अप्रैल (हि.स.)। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत ने कहा कि आने वाले समय में देश विश्व में हाइड्रोजन का हब बन जाएगा। इससे हाइड्रोजन बनाने में मददगार इलेक्ट्रोलाइजर की लागत 80 % तक कम हो जाएगी।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में नीति आयोग के सदस्य देश के शीर्ष वैज्ञानिक डॉ. वी.के. सारस्वत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते यह बातें कही। इस दौरान डॉ. सारस्वत ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वातावरण में बड़े बदलाव आ रहे हैं। इससे निपटने के लिए सस्टेनेबल एनर्जी को अपनाना सर्वोत्तम विकल्प है। यह सुनिश्चित करेगा की जलवायु को नुकसान पहुंचाए बिना ही ऊर्जा की मांग पूरी की जा सके। सतत विकास का लक्ष्य ही है कि लोगों को साफ व किफायती ऊर्जा उपलब्ध हो।

डॉ. सारस्वत ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला होने के बाद भी देश विकसित देशों के मुकाबले 40 % तक कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है। हाइड्रोजन, मेथेनॉल और कोयला नवीनीकरण ऊर्जा के स्रोत है। सबसे स्वच्छ ईंधन हाइड्रोजन हानिकारक तत्वों के उत्सर्जन की समस्या का समाधान करता है। ग्रीन हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधन की मदद से बनाया जाता है वहीं ब्लू हाइड्रोजन की उत्पत्ति प्राकृतिक गैस से होती है।

उन्होंने कहा कि मेथेनॉल को तरल पदार्थ की तरह रखा जा सकता है। इसकी कार्बन तीव्रता कम होती है जिस वजह से इसका 40 % से ज्यादा उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। भारत विश्व का पांचवा सबसे बड़ा कोयले के भंडार वाला देश है। स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर शोध करके भविष्य में इसके बेहतरीन उपयोग किया जा सकेंगे।

डॉ. सारस्वत ने क्लीन एनर्जी के लिए तकनीकी रणनीतियां भी बताई। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्पादों के विकास में निवेश, मेथेनॉल, एथेनॉल व अमोनिया से ऊर्जा उत्पादन, प्राकृतिक गैस, परमाणु शक्ति व स्थाई गतिशीलता क्लीन एनर्जी उत्पादन में महत्वपूर्ण रहेंगी। इसके फल स्वरूप जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरीकरण, लोक नीतियों व सामाजिक व्यवस्था में विकास होगा।

उन्होंने क्लीन एनर्जी अपनाने के लिए सभी से साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया।

संगोष्ठी का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और डिपार्टमेंट ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग ने इंस्टिट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के सहयोग से किया। संगोष्ठी में डीन इंटरनेशनल अफेयर्स डॉ. डी.आर. गंगोदकर, डीन लाइफ साइंसेज प्रो. प्रीति कृष्णा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ अश्विनी कुमार शर्मा, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ. मोहम्मद फहीम अंसारी, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी, शिक्षक शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश/प्रभात