खुली जेल की जमीन पर अस्पताल निर्माण से जुडे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया कमिश्नर नियुक्त
जयपुर, 25 नवंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर स्थित देश की पहली खुली जेल में राज्य सरकार की ओर से 300 बैड्स के सेटेलाइट हॉस्पिटल बनाए जाने के मुद्दे पर जनकल्याण व खुली जेल की व्यवस्था को संरक्षित रख हॉस्पिटल बनाने की मंशा जताई है। इसके साथ ही अद
खुली जेल की जमीन पर अस्पताल निर्माण से जुडे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया कमिश्नर नियुक्त


जयपुर, 25 नवंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर स्थित देश की पहली खुली जेल में राज्य सरकार की ओर से 300 बैड्स के सेटेलाइट हॉस्पिटल बनाए जाने के मुद्दे पर जनकल्याण व खुली जेल की व्यवस्था को संरक्षित रख हॉस्पिटल बनाने की मंशा जताई है। इसके साथ ही अदालत ने खुली जेल परिसर के मौका-मुआयना के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर उससे चरणबद्ध योजना व रिपोर्ट देने के लिए कहा है। अदालत ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट आने तक आगामी सुनवाई स्थगित रखी है। जस्टिस बीआर गवई व केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रसून गोस्वामी की अवमानना याचिका पर दिया।

अदालत ने राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि निर्माण कार्य में खुली जेल की सुविधाएं भी संरक्षित रहे। वहीं निर्माण से पहले जेल में रहने वाले कैदियों का भी पुनर्वास करना होगा। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि खुली जेल को आवंटित की गई जमीन को कम नहीं किया जा रहा है। खुली जेल का कुल क्षेत्रफल 61,160 वर्ग मीटर है। इसमें से 17,800 वर्ग मीटर जमीन निर्माण है। वहीं खुली जेल के लिए राज्य सरकार का अलग से 14,940 वर्ग मीटर जमीन आवंटित करना प्रस्तावित है, जबकि 22,000 वर्ग मीटर जमीन पर ही सेटेलाइट हॉस्पिटल का निर्माण किया जाएगा। वहीं हॉस्पिटल निर्माण के दौरान कैदियों का पुनर्वास किया जाएगा। मौजूदा समय में खुली जेल में 410 कैदी रह रहे हैं। दरअसल अवमानना याचिका में कहा था कि खंडपीठ ने 17 मई 2024 को आदेश जारी की राज्य सरकार को खुली जेल की जमीन को कम नहीं करने और छह दशक से खुली जेल के लिए काम आने वाली इस जमीन को संरक्षित करने के लिए कहा था, लेकिन जेडीए ने 30 जुलाई 2024 को इस जमीन पर सेटेलाइट हॉस्पिटल का आवंटन मंजूर कर लिया है। राज्य सरकार व जेडीए का ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक