प्रो. यशवंतराव केलकर जी– आदर्श प्राध्यापक विषय पर संगोष्ठी आयाेजित
जयपुर, 8 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर “प्रो. यशवंतराव केलकर जी – आदर्श प्राध्यापक विषय” पर संगोष्ठी का आयोजन महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम क
प्रो. यशवंतराव केलकर जी – आदर्श प्राध्यापक विषय पर संगोष्ठी आयाेजित


जयपुर, 8 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर “प्रो. यशवंतराव केलकर जी – आदर्श प्राध्यापक विषय” पर संगोष्ठी का आयोजन महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने की एवम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत संगठन मंत्री पूरण सिंह शाहपुरा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भरतपुर विभाग के प्रचारक उत्कर्ष विशेष रूप से उपस्थित रहे।

इस अवसर पर विद्यार्थी परिषद के प्रांत संगठन मंत्री पूरण सिंह शाहपुरा ने प्रो. यशवंतराव केलकर जी के जीवन, उनके आदर्शों एवं शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। और कहा कि प्रो. केलकर जी केवल एक श्रेष्ठ प्राध्यापक ही नहीं, बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत एवं समाज के लिए आदर्श व्यक्तित्व थे। उन्होंने विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए शिक्षा को जीवन से जोड़ने का कार्य किया।

उन्होंने यह संदेश दिया गया कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन न होकर राष्ट्र निर्माण का सशक्त आधार है। प्रो. केलकर का जीवन प्रत्येक शिक्षक और विद्यार्थी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

विभाग प्रचारक उत्कर्ष ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। वे केवल ज्ञान देने वाले ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण के मार्गदर्शक भी होते हैं। वेद, उपनिषद और गीता जैसी महान ग्रंथों में गुरु को ईश्वर के तुल्य बताया गया है – “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।” भारतीय परंपरा में शिक्षा केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने का साधन न होकर जीवन मूल्यों, नैतिकता और कर्तव्यबोध का आधार रही है। शिक्षक विद्यार्थियों में अनुशासन, आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करते हैं। आधुनिक समय में भी शिक्षक का दायित्व है कि वह छात्रों को केवल रोजगारपरक शिक्षा ही न दें, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक और आदर्श मानव बनने की दिशा में प्रेरित करें।

विश्विद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने कहा कि आज के परिवर्तित परिदृश्य में शिक्षक की भूमिका केवल ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के संकल्प को साकार करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी है। शिक्षक समाज की आत्मा को आकार देने वाले शिल्पकार होते हैं, जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व, मूल्य एवं संस्कारों का निर्माण करते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव