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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
कर सुधार किसी भी राष्ट्र की आर्थिक दिशा और विकास की गति तय करते हैं। भारत जैसे विशाल और विविधता भरे देश में कर ढांचा हमेशा से बहस और सुधार का विषय रहा है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद भी यह शिकायत लगातार बनी रही कि कर संरचना जटिल है और आम आदमी से लेकर छोटे कारोबारियों तक सबके लिए यह बोझिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रबंधन में अब यह तस्वीर बदल रही है। हाल ही में लिए गए ऐतिहासिक निर्णयों से जीएसटी को सरल, पारदर्शी और आमजनहितकारी स्वरूप दिया गया है, जिसने करोड़ों भारतीयों को राहत की नई उम्मीद दी है।
दो दरें, अधिक पारदर्शिता, सीधी राहत
मोदी सरकार ने चार स्लैब की जटिलता खत्म कर केवल दो दरों – 5% और 18% को लागू किया है। रोजमर्रा की वस्तुएं, स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा टैक्स से मुक्त कर दी गई हैं। वहीं तंबाकू और लग्जरी वस्तुओं पर 40% कर लगाया गया है। यह कदम बताता है कि सरकार की प्राथमिकता गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर बोझ घटाना है, जबकि अपव्ययकारी उपभोग और अस्वस्थ आदतों को हतोत्साहित करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में यह वादा किया था कि देशवासियों को दिवाली से पहले “नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स” का तोहफा मिलेगा। आज यह वादा हकीकत बन चुका है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे किसान, मध्यम वर्ग, महिला, युवा और छोटे व्यवसाय सभी को लाभ होगा।
आम आदमी को मिली सच्ची राहत
नए बदलाव का सबसे बड़ा असर आम परिवारों की जेब में महसूस होगा। अब दूध, रोटी, पिज्जा ब्रेड, पराठा, छेना जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा। जीवन रक्षक दवाओं और दुर्लभ बीमारियों की दवाओं को भी टैक्स से मुक्त किया गया है। इससे लाखों परिवारों को स्वास्थ्य खर्च के बोझ से बड़ी राहत मिलेगी।
बीमा सेवाओं को जीएसटी से मुक्त करने का असर व्यापक होगा। पहले स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर 18% जीएसटी लागू होता था, जिससे प्रीमियम महंगा हो जाता था। अब यह हट जाने से बीमा हर वर्ग की पहुंच में आएगा और स्वास्थ्य सुरक्षा का दायरा व्यापक होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कहा कि व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसी, चाहे वह टर्म लाइफ हो, यूलिप हो या एंडोमेंट पॉलिसी, और सभी व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा। कहना होगा कि यह कदम प्रधानमंत्री मोदी की उस दृष्टि को पुष्ट करता है, जिसमें हर भारतीय परिवार को आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा देने का संकल्प शामिल है।
लग्जरी और तंबाकू पर सख्ती से सामाजिक संदेश
जहां आम आदमी को राहत दी गई है, वहीं सरकार ने तंबाकू, पान मसाला, बड़ी कारें, यॉट और हैवी मोटरसाइकिलों पर 40% कर लगाकर स्पष्ट संदेश दिया है। यह केवल राजस्व संग्रह बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है कि विलासिता और अस्वास्थ्यकर उत्पादों पर कर बोझ बढ़ेगा। यह दृष्टिकोण मोदी सरकार की उस नीति को रेखांकित करता है जिसमें गरीब और मध्यम वर्ग की जरूरतें सर्वोपरि हैं। अमीर वर्ग को राहत देने की बजाय सामाजिक संतुलन और आर्थिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करना ही सरकार का मूल संदेश है।
छोटे कारोबारियों को बड़ी मजबूती
भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ छोटे और मझोले व्यवसाय (एमएसएमई) हैं। पहले जटिल जीएसटी ढांचे के कारण इन्हें अनुपालन में कठिनाई होती थी। अब केवल दो स्लैब होने से टैक्स प्रणाली सरल होगी, व्यापारियों का विश्वास बढ़ेगा और कारोबार करना आसान होगा। इससे “Ease of Doing Business” को बल मिलेगा, छोटे व्यापारियों की लागत घटेगी और नए रोजगार सृजित होंगे। प्रधानमंत्री मोदी का “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” का आह्वान इन्हीं सुधारों से वास्तविक ताकत प्राप्त करता है।
वैश्विक दबावों के बीच आत्मनिर्भरता की राह
आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था संरक्षणवाद और टैरिफ युद्धों से प्रभावित है। ऐसे समय में भारत ने घरेलू खपत को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। फिच सॉल्यूशंस की बीएमआई रिपोर्ट के अनुसार, इन सुधारों से खपत में लगभग 5.31 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी, जो जीडीपी का 1.6% है।
यह केवल कर सुधार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम है। आंतरिक मांग पर आधारित विकास रणनीति से बाहरी झटकों का असर सीमित होगा और भारत विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिर और मजबूत भागीदार बनेगा।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा
भारत ने 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सरल, पारदर्शी और भरोसेमंद कर प्रणाली अत्यंत आवश्यक है। नए जीएसटी सुधार विदेशी निवेशकों के लिए भारत को और आकर्षक बनाएंगे। दूसरी ओर घरेलू खपत बढ़ने से जीडीपी में तेजी आएगी। उम्मीद करें कि केंद्र-राज्यों के बीच सहमति से लागू यह सुधार संघीय ढांचे की मजबूती का प्रमाण बनेंगे।
वित्त मंत्री सीतारमण की घोषणाएं : स्वास्थ्य सुरक्षा में नया अध्याय
56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने 12% और 18% वाले स्लैब खत्म कर दिए। कई दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया। 33 जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह जीएसटी मुक्त कर दिया गया, जिनमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी दवाएं शामिल हैं। मेडिकल ऑक्सीजन, थर्मामीटर, डायग्नोस्टिक किट, ग्लूकोमीटर और चश्मों पर भी टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया। यह निर्णय स्वास्थ्य क्षेत्र को किफायती और सुलभ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि इंश्योरेंस और हेल्थकेयर से जुड़े सुधार आम आदमी की जेब में सीधी राहत देंगे और बीमा कवरेज का दायरा व्यापक बनाएंगे। यह कदम “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” की भावना को दर्शाता है।
कुल मिलाकर यहां यही कहना होगा कि जीएसटी सुधार केवल तकनीकी बदलाव नहीं है। यह भारत की नई आर्थिक सोच का प्रतीक है, जिसमें विकास और सामाजिक न्याय दोनों समानांतर चलते हैं। मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नीतियां गरीब, मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों के लिए हैं, न कि केवल अमीरों और बड़े उद्योगपतियों के लिए। प्रधानमंत्री मोदी का यह विश्वास कि “विकास और सामाजिक न्याय साथ-साथ चल सकते हैं” अब ठोस रूप में सामने है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी