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बीकानेर, 3 सितंबर (हि.स.)। सौर ऊर्जा से खेतों में सिंचाई करने के प्रति किसानों का रूझान बढ़ा है। बीकानेर जिला सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र स्थापना में सदैव अग्रणी रहा है। इसी कारण से जिले के 12 हजार 800 किसानों द्वारा अपने खेतों में सौर ऊर्जा पंप स्थापित कर, फसलों में सिंचाई का लाभ ले रहे हैं। सरकार की तरफ से किसानों की सिंचाई को डीजल और बिजली से मुक्त करने के लिए पीएम कुसुम योजना (कंपोनेंट-बी) के तहत सौर ऊर्जा पंप स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में अब तक 500 पंप संयंत्र लगाए गए हैं। वर्ष 2025-26 तक 3 हजार 500 पंप स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
उद्यान विभाग द्वारा किसानों के आवेदन का निस्तारण त्वरित किया जा रहा है। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत ने बताया कि वर्तमान में कोई भी आवेदन लंबित नहीं है। योजना में किसानों को तीन, पांच, साढ़े सात एचपी क्षमता तक के स्टैंड-अलोन सौर ऊर्जा पंप अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। योजनांतर्गत किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान दिए जा रहा है। वहीं एससी-एसटी वर्ग को अतिरिक्त 45 हजार अनुदान भी दिया जाता है। शेष राशि किसान को स्वयं वहन करनी होती है। उन्होंने बताया कि तीन एचपी पम्प पर किसान का हिस्सा 97 हजार 750 से 1 लाख 1 हजार 124 रुपए तक, 5 एचपी पंप पर 1 लाख 27 हजार 385 से 1 लाख 29 हजार 221 रुपए तक और 7.5 एचपी पंप पर 1 लाख 78 हजार 893 से 1लाख 81 हजार 437 रुपए तक आता है।
उपनिदेशक उद्यान रेणु वर्मा ने बताया कि किसान नजदीकी ई-मित्र केंद्र या स्वयं राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए नवीनतम जमाबंदी व नक्शा (6 माह से पुराना नहीं), जल स्रोत और डीजल पंप उपयोग संबंधी पत्र बिजली कनेक्शन न होने का शपथ पत्र एवं अनुमोदित फर्म का चयन आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए कार्यालय उपनिदेशक उद्यान या संबंधित सहायक कृषि अधिकारी/कृषि पर्यवेक्षक उद्यान से सम्पर्क किया जा सकता हैं।
सौर ऊर्जा स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत है। पर्यावरण संरक्षण में सहायक है। खेत में सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन या डीजल की जरूरत नहीं, जिससे ख़र्च घटता है। फसलों को समय पर और पर्याप्त पानी मिलने से पैदावार बढ़ती है। डीजल पंप पर रोजाना खर्च होता है, जबकि सोलर पम्प एक बार लगने के बाद वर्षों तक मुफ्त ऊर्जा देता है। सोलर ऊर्जा संयंत्र पंप के लागत का बढ़ा हिस्सा सरकार उठाती है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होता है। बिजली की कटौती या ट्रांसफार्मर की समस्याओं से मुक्ति, किसान अपनी सुविधानुसार सिंचाई कर सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव