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बीकानेर, 3 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने बुधवार काे कहा कि उष्ट्र केवल शोध का विषय नहीं, बल्कि हमारे प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर हैं। अत: ऊंटों के कल्याण और संरक्षण के साथ-साथ वैज्ञानिक प्रयोगों में भी नैतिक मानकों का अनुपालन, इस संस्थान की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
डाॅ. पूनिया ने संस्थान पशु आचार समिति (आई.ए.ई.सी.) की बैठक में गठित समिति के सतत सक्रिय योगदान की सराहना करते हुए कहा कि पशु कल्याण, हमारे संस्थान के समस्त अनुसंधान कार्यों का मूलाधार है। इस बैठक में मुख्य नामित सदस्य डॉ. अशोक डांगी, राजुवास ने समिति के विचार-विमर्श को सारगर्भित दिशा देते हुए पशु नैतिकता और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर बल दिया। प्रो. (डॉ.) अनिल भानुदास गायकवाड, बीट्स, पिलानी ने समिति के मुख्य लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सभी प्रयोगों में पशुओं के उचित पालन-पोषण और सुरक्षा पर विशेष जोर दिया।
समिति के अध्यक्ष डॉ. राकेश रंजन ने कहा कि एनआरसीसी में अनुसंधान और नैतिकता का समन्वय सुनिश्चित करना इस समिति की साझा प्रतिबद्धता है तथा इस दिशा में यह, निरंतर मार्गदर्शन प्रदान कर रही है। बैठक में सामाजिक-जागरूक सदस्य के रूप में श्री योगेश कुमार अपूर्वा, लिंक नॉमिनी के रूप में जोधपुर के प्रो. (डॉ.) अशोक पुरोहित ने भी पशु कल्याण संबंधी विचार साझा किए।
डॉ. श्याम सुंदर चौधरी, समिति सचिव एवं प्रभारी, पशु आवास सुविधा ने बताया कि बैठक के दौरान पशु प्रयोगों से सम्बन्धित नए अनुसंधान प्रस्तावों की समीक्षा की गई। एनआरसीसी की ओर से समिति के सदस्यों में डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. बसंती ज्योत्सना एवं डॉ. काशी नाथ ने भाग लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव