जयपुर जेल में रक्षाबंधन : बहनों ने सलाखों के पीछे भाईयों को लगाया तिलक
जयपुर, 9 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय कारागृह में शनिवार को रक्षा बंधन का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर जेल परिसर में करीब ढ़ाई सौ से अधिक महिलाएं व युवतियां जेल पहुंची। जेल परिसर में अपने-अपने भाईयों को तिलक लगाकर बहनों ने राखी बांधी और अपराध दुनिया से दूर र
जयपुर जेल में मनाया रक्षाबंधन का पर्व:बहनों ने सलाखों के पीछे भाईयों को लगाया तिलक


जयपुर जेल में मनाया रक्षाबंधन का पर्व:बहनों ने सलाखों के पीछे भाईयों को लगाया तिलक


जयपुर जेल में मनाया रक्षाबंधन का पर्व:बहनों ने सलाखों के पीछे भाईयों को लगाया तिलक


जयपुर, 9 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय कारागृह में शनिवार को रक्षा बंधन का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर जेल परिसर में करीब ढ़ाई सौ से अधिक महिलाएं व युवतियां जेल पहुंची। जेल परिसर में अपने-अपने भाईयों को तिलक लगाकर बहनों ने राखी बांधी और अपराध दुनिया से दूर रहने का वचन लिया।

रक्षाबंधन पर जेल परिसर का माहौल काफी भावुक नजर आया। भाईयों ने जेल की सलाखों के बीच में से अपना हाथ निकाल कर कलाई पर राखी बंधवाई। बहनों ने भी सलाखों के बीच में से ही भाईयों को तिलक लगा कर मुंह मीठा करवाया। इसी बीच नम आंखों से बहनों ने अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना की।

सुपरिटेंड जेल एसपी जयपुर राकेश मोहन शर्मा ने बताया कि रक्षा बंधन के पावन अवसर पर सुरक्षा की दृष्टि से जेल में तिलक लगाने आई बहनों को बिना जांच के जेल परिसर में प्रवेश नहीं दिया गया। वैसे तो जेल में बंदियों की मुलाकात के लिए सप्ताह में दो से तीन दिन का समय रहता है । लेकिन त्यौहार को देखते हुए जेल प्रशासन की ओर मुलाकात के लिए कुछ छूट दी गई। राखी बांधने आई बहनों को अपने भाइयों से मुलाकात के लिए पांच बजे तक का समय निर्धारित किया गया था। इसी बीच बहनों ने अपने भाइयों से मुलाकात कर उन्हे रक्षा सूत्र बांधे। उन्होने बताया की रक्षा बंधन के अवसर जेल के अंदर सिर्फ एक किलो मिठाई ले जाने की छूट दी गई थी।

जेल में आने वाली बहनों की भीड़ को देखते हुए जेल प्रशासन ने एक दिन पहले ही पुख्ता तैयारी कर ली। जेल प्रशासन ने बिना पर्ची और मोहर के किसी को भी जेल परिसर में एट्री नहीं दी। पर्ची और मोहर लगाने के साथ ही सामान की तलाशी के लिए अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की व्यवस्था की गई। इसी के साथ जेल प्रशासन ने धूप और बरसात से बचने के लिए जेल परिसर के बाहर टेंट की व्यवस्था की। जिसके नीचे बैठकर बहने अपने भाइयों से मिलने का इंतजार करते नजर आई।

नहीं रोक पाई बहने अपने आंसू

सलाखों के पीछे खड़े अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हुए बहने अपने आंसू नहीं रोक पाई और काफी भावुक हो गई। बहनों की आंखों में आसू देख सलाखों के पीछे खड़े भाईयों की भी आंखे नम हो गई। बहनों को रोता देख कैदी भाई की आखों से भी आसू झलक पड़े। बहनों ने अपने भाईयों से विदा में अपराध नहीं करने की कसम दिलवाई।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश