विलक्षण कार्य के बाद भी हनुमानजी ने नहीं लिया श्रेय: स्वामी गोविन्ददेवगिरि
तीन दिवसीय श्री हनुमान कथा की पूर्णाहुति जोधपुर, 08 अगस्त (हि.स.)। भारत समन्वय धाम कमला नेहरू नगर में चल रही श्री हनुमान कथा के तृतीय एवं विराम दिवस पर आज कथा के क्रम को ग्रंथों पर आधारित आगे बढ़ाते हुए तुलसीकृत रामचरितमानस एवं वाल्मिकी रामायण के आध
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तीन दिवसीय श्री हनुमान कथा की पूर्णाहुति

जोधपुर, 08 अगस्त (हि.स.)। भारत समन्वय धाम कमला नेहरू नगर में चल रही श्री हनुमान कथा के तृतीय एवं विराम दिवस पर आज कथा के क्रम को ग्रंथों पर आधारित आगे बढ़ाते हुए तुलसीकृत रामचरितमानस एवं वाल्मिकी रामायण के आधार पर स्वामी गोविन्ददेवगिरि महाराज ने श्रीराम व हनुमानजी की दिव्य लीलाओं का अभूतपूर्व, अलौकिक व संगीतमय पारायण किया।

स्वामीजी ने हनुमानजी द्वारा श्रीराम के वनवास काल में सीता की खोज करने में जो अनुपम कार्य किया उसको वर्तमान के मानव जीवन से जोड़ते हुए आम जन को हनुमानजी के बुद्धि, बल, चातुर्य एवं समर्पण भाव की शिक्षा लेने का एहसास कराया। हनुमानजी ने भगवान के विलक्षण कार्यों को करके भी अपने आप को श्रेय लेने से दूर रखा और जब प्रभु श्रीराम ने हनुमानजी को इस अद्भुत मदद के लिये कहा कि हनुमान मैं तेरे से कभी उऋण नहीं हो सकता तब हनुमानजी ने प्रत्युत्तर में सदैव यही कहा कि प्रभु मैंने कुछ भी नहीं किया चाहे सीताजी की खोज, लंकादहन, लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी व राम-रावण युद्ध में जो भी भूमिका की वो केवल प्रभु आपकी कृपा बल से हुई।

इस आधार पर स्वामीजी ने आज के इस कलयुग में हनुमानजी व रामजी के सान्निध्य से शिक्षा व प्रेरणा लेने का आदेश भक्तों को दिया। कथा की पूर्णाहूति मुख्य यजमान सत्यनारायण शर्मा, शोभा शर्मा, राधेश्याम सोनी, श्याम बाहेती एवं समन्वय परिवार के सदस्यों द्वारा की गई। आरती के पूर्व संस्था के उपाध्यक्ष उम्मेदकिशन पुरोहित व वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुनाथसिंह सांखला का सम्मान किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश