हिसार: बायोएक्टिव बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स’ नामक पुस्तक हर किसी के लिए उपयोगी : प्रो. नरसी राम बिश्नोई
‘बायोएक्टिव बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स’ नामक पुस्तक का विमोचन करते कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई।


कुलपति नरसीराम बिश्नोई ने किया ‘बायोएक्टिव बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स’ नामक पुस्तक का विमोचन

हिसार, 5 अगस्त (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने ‘बायोएक्टिव बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का संपादन गुजविप्रौवि के प्रो. राकेश सिंधु व प्रो. सुमित्रा सिंह तथा सिवास कम्हुरियेट विश्वविद्यालय तुर्की के फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. एवरेन एल्गिन थापर ने किया है। इस पुस्तक का प्रकाशन अंतराष्ट्रीय स्तर प्रतिष्ठित प्रकाशक विले द्वारा किया गया है।कुलपति नरसीराम बिश्नोई ने मंगलवार काे कहा कि ‘बायोएक्टिव बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स’ नामक पुस्तक न केवल पुस्तक का संपादन करने वाले वरिष्ठ शिक्षकों के लिए बल्कि गुजविप्रौवि के लिए भी एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक रोगों के उपचार के लिए समग्र और बायोएक्टिव-आधारित विधियों में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग के पेशेवरों के लिए बहुत उपयोगी है।यह पुस्तक बायोएक्टिव-बेस्ड नैनोथेरेप्यूटिक्स चिकित्सा के तेजी से बढ़ते क्षेत्र की पड़ताल करती है तथा बायोएक्टिव नैनोमटेरियल के मूल सिद्धांतों, उनकी डिजाइन रणनीतियों और उनके चिकित्सीय अनुप्रयोगों का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है। विभिन्न विषयों के प्रमुख विशेषज्ञों ने पुस्तक के ऐसे अध्यायों में योगदान दिया है जो विविध विषयों की पड़ताल करते हैं, जिनमें बायोएक्टिव नैनोथेरेप्यूटिक्स की मूल बातें, विभिन्न बायोएक्टिव यौगिकों के पृथक्करण के तरीके और सूत्रीकरण विकास शामिल हैं। प्रो. राकेश सिंधु और प्रो. सुमित्रा सिंह ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के पाठ्यक्रम के अनुसार फार्मेसी के छात्रों के लिए पहले भी कई पुस्तकें लिखी हैं। यह पुस्तक ऑनलाइन भी उपलब्ध है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर