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- सरकार का दावा- मई 2025 के पहले सप्ताह तक का भुगतान किया
चंडीगढ़, 5 अगस्त (हि.स.)। निजी अस्पतालों द्वारा आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज सात अगस्त से बंद किए जाने के ऐलान के बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को आयुष्मान भारत-आयुष्मान हरियाणा योजना के तहत बजट जारी कर दिया। गैर सरकारी सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से 300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी कर दी है। इसके बावजूद आईएमए ने हड़ताल वापसी का ऐलान नहीं किया है।
आईएमए ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई राशि पुराने अप्रैल व मई माह के बिलों की है। अभी भी जून और जुलाई के बिलों का भुगतान बाकी है। इसलिए सात अगस्त की रात 12 बजे से होने वाली हड़ताल के फैसले पर आईएमए अडिग है।
आईएमए हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. महावीर पी जैन और पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय महाजन ने कहा है कि मुख्य समस्या बिलों का भुगतान नहीं बल्कि बजट अलाट कराना और उसे जारी नहीं कर पाने की है। लंबे समय से ऐसा होता आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग तिमाही तौर पर बजट का अलाटमेंट करवाता है और उसे जारी करने में समय लेता है।
आईएमए ने कहा है कि जब तक बजट एकमुश्त अलाट नहीं होता और उसे जारी करने की प्रक्रिया को सुचारू नहीं बनाया जाता, तब तक समस्या बनी रहेगी। इसलिए सात अगस्त की रात 12 बजे के बाद से राज्य के 650 प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारकों का इलाज नहीं होगा।
हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने मंगलवार शाम चंडीगढ़ में कहा कि चार अगस्त को बजट प्राप्त हो गया है। पैनलबद्ध अस्पतालों को पहले आओ, पहले पाओ (एफआइएफओ) के आधार पर आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बकाया पैसे का भुगतान शुरू कर दिया गया। दावा किया गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मई 2025 के पहले सप्ताह तक पैनलबद्ध अस्पतालों द्वारा प्रस्तुत दावों का निपटान और भुगतान कर दिया है। योजना की शुरुआत से अब तक अस्पतालों को कुल 2,900 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 16 जुलाई 2025 तक राज्य और केंद्र सरकारों से 240.63 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है और पात्र दावों के निपटान के लिए इसका पूर्ण उपयोग किया जा चुका है।
पैनलबद्ध अस्पतालों द्वारा प्रस्तुत दावों का निपटान एनएचए के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 50 डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया जाता है। सभी कटौतियां एनएचए के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाती हैं। कटौती केवल तभी की जाती है, जब दस्तावेजों का अभाव हो। यदि कोई अस्पताल किसी कटौती से असहमत है, तो वह पोर्टल के माध्यम से अपील दायर कर सकता है। इन अपीलों की समीक्षा एक निर्दिष्ट चिकित्सा लेखा परीक्षा समिति द्वारा की जाती है। अब तक पैनलबद्ध अस्पतालों की 400 से अधिक शिकायतों को औपचारिक रूप से सीजीआरएमएस 2.0 पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत किया जा चुका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा