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हिसार, 5 अगस्त (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने वर्ष 2024-25 में बेहतर प्रदर्शन करने पर बाजरा अनुभाग को लगातार तीसरी बार सर्वश्रेष्ठ बाजरा अनुसंधान केन्द्र का पुरस्कार प्रदान किया है। आईसीएआर-आईएआरआई द्वारा बाजरा, ज्वार और लघु बाजरा पर एआईसीआरपी की संयुक्त वार्षिक समूह बैठक (बाजरा की 60वीं वार्षिक बैठक)में सचिव (डीएआरई) एवं महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. एमएल जाट द्वारा उपरोक्त पुरस्कार दिया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने वैज्ञानिकों द्वारा अर्जित की गई इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने हाल ही के वर्षों में बाजरा की उन्नत किस्मों के विकास, बाजरा में नए रोग कारकों की पहचान, बाजरा के संकर बीज उत्पादन व व्यवसायीकरण में बहुत सराहनीय कार्य किए हैं।बाजरा अनुभाग ने बीज उत्पादन और विपणन के लिए किए 14 समझौता ज्ञापनकुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने मंगलवार काे बताया कि बाजरा अनुभाग देश के अग्रणी बाजरा केन्द्रों में से एक है। उन्होंने बताया कि विभाग ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक विभिन्न उन्नत किस्में विकसित करके देश में अपना परचम लहराया है। बाजरा अनुभाग ने अब तक 18 संकर और चार मिश्रित किस्में विकसित की हैं। केन्द्र ने दुनिया में सबसे कम अवधि का लैंडमार्क संकर एचएचबी- 67 पहला मार्कर सहायता प्राप्त विकसित संकर एचएचबी-67 संशोधित, ए-4 साइटोप्लाज्म पर पहला सार्वजनिक क्षेत्र का संकर एचएचबी-216, दो बायोफोरटिफाईड (उच्च लोहा और जस्ता) संकर एचएचबी-299 एचएचबी-311 और एक अन्य एमएएस संस्करण संकर-67 संशोधित 2 जारी किया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 9 बाजरा संकर एचएचबी-67 संशोधित, एचएचबी-197 एचएचबी-223, एचएचबी-226, एचएचबी-234, एचएचबी-272, एच एच बी-67 संशोधित 2, एचएचबी-299 और एचएचबी-311 के बीज का उत्पादन और वित्पन्न करने के लिए 2011 से 2025 तक 10 निजी बीज संगठनों के साथ 14 गैर-अनन्य लाइसेंस समझौता ज्ञापन किए गए हैं।बाजरा अनुभाग ने अनुसंधान के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त किए अनेक अवार्ड
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने विभाग द्वारा अर्जित की गई उपलब्धियां पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्ष 2002 के दौरान बाजारा सुधार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए द्विवार्षिक आईसीएआर टीम द्वारा अनुसंधान पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2003 के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा चौधरी देवीलाल सर्वश्रेष्ठ अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना पुरस्कार, पांच बार आईसीएआर-एआईसीआरपी द्वारा सर्वश्रेष्ठ एआईसीआरपी बाजरा केन्द्र पुरस्कार दिया गया। इसके अतिरिक्त विभाग ने अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने पर भी अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं।हरियाणा में बाजरा की फसल एक नजर में
बाजरा अनुभाग, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल यादव ने बताया कि बाजरा अनाज और चारे के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है। बाजरा मुख्यत: महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार तथा झज्जर जिलों में बोया जाता है। इन क्षेत्रों में कम वर्षा और उच्च तापमान होता है। जो की बाजरा कि फ़सल के लिए उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि किसानों के सामने जो प्रमुख चुनौतियां हैं उनमें बाजार की अनिश्चिता, नवीनतम विकसित संकर उन्नत बीजों तक सीमित पहुंच और वैज्ञानिक खेती पद्धतियों का कम अपनाना शामिल है। गत पांच वर्षों के दौरान प्रदेश में बाजरा का रकबा 4.83 से 5.74 लाख हेक्टेयर के बीच रहा है तथा बाजरा का उत्पादन 10.62 से 16.62 लाख टन के बीच रहा है और उत्पादकता 2311 से 2897 किलोग्राम/हेक्टेयर के बीच रही है। जो प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्यों में देश में सबसे अधिक है। उन्होंने बताया कि समझौता ज्ञापन भागीदारों द्वारा भी बड़े स्तर पर हाईब्रिड बीज का उत्पादन किया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ. सुरेन्द्र यादव, डॉ. देवव्रत यादव, डॉ. विनोद मलिक, डॉ. नीरज खरोड़, डॉ. हर्षदीप, डॉ. पंकज व डॉ. ज्योति उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर