297 शालाओं में से मात्र 46 हुई जमींदोेंज, 251 अभी भी गिरने की कगार प
297 शालाओं में से मात्र 46 हुई जमींदोेंज, 251 अभी भी गिरने की कगार प


मध्य प्रदेश, 5 अगस्त (हि.स.)।

विदिशा। राजस्थान के झालावाड़ में हुई घटना स्कूल की घटना के बाद जिला प्रशासन ने सबक नही लिया आज भी कई ऐसी शैक्षणिक संस्थाएं हैं जिनमें बारिश के दौरान स्कूल संचालित हो रहें हैं। जबकि जिले में 297 प्राथमिक और माध्यमिक शाला ऐसी हैं जो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, उनकी सूची बनाकर तैयार कर ली गई है और संबंधित स्कूल प्राचार्य को क्षतिग्रस्त भवनों में बच्चों को बैठने से रोक लगा दी गई है। लेकिन जिला प्रशासन ने कुछ दिन पहले राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की घटना में हुई मासूम बच्चों की मौत के बाद सबक नही लिया । और तत्परता दिखाते हुए क्षतिग्रस्त भवनों को जल्द से जल्द गिराने की कार्ययोजना को अंजाम तक नही पहुंचाया हैं। राजस्थान के झालावाड़ में हुई घटना के बाद प्रदेश सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए जिले के 297 प्राथमिक शाला और मिडिल स्कूल के भवनों को चिन्हित कर सूची तैयार कर ली गई है और संबंधित स्कूलों के क्षतिग्रस्त भवनों का इंजीनियर से सर्वे कराकर तोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान सर्व शिक्षा मिशन द्वारा प्राथमिक शाला और मिडिल स्कूल भवनों का सर्वे कराया गया है। जिसमें जो भवन या कमरें क्षतिग्रस्त हैं उन्हें चिन्हित करने का निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जो भवन बैठने लायक नहीं है उसे जल्द से जल्द तोड़ने की कार्रवाई करने के निर्देश जारी हुए हैं। बता दें की जिले की सभी तहसीलों में सर्वे कराया गया था। इस दौरान 297 स्कूल भवन क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। इन भावनों को तोड़ने के लिए अब तैयारी की जा रही है। वहीं लगातार हो रही बारिश के चलते शिक्षा विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त स्कूल भवनों के शिक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि क्षतिग्रस्त भवन में बच्चों को ना बैठाया जाए और सुरक्षित स्थान पर बच्चों को बैठने की व्यवस्था की जाए। इस दौरान आसपास के स्कूलों का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि जो भवन बैठने लायक नहीं है उन स्कूलों के शिक्षकों ने या तो बच्चों को माध्यमिक शाला के अतिरिक्त कक्ष में बैठकर पढ़ाई कराना शुरू कर दिया है या फिर व्यवस्था न होने के कारण बच्चों की छुट्टी लगा दी गई है, जब तक सुरक्षित स्थान बैठने के लिए नहीं मिल जाता तब तक बच्चों को घर में रहकर ही पढ़ाई करना पड़ रही है।

कई स्थानों पर नही हैं बच्चों को बैठने की कोई व्यवस्था

ग्राम कोठीचार खुर्द की प्राथमिक शाला भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है और जगह-जगह से पानी टपक रहा है। साथ ही दीवारें और छत क्षतिग्रस्त होने के कारण बच्चों की छुट्टी शिक्षक द्वारा 10 दिनों के लिए लगा दी गई है। इस दौरान जब यहां जाकर देखा तो पाया कि स्कूल बंद था और कोई भी बच्चा वहां मौजूद नहीं पाया गया। साथ ही इस दौरान जब शिक्षक से बात की गई तो उनका कहना था कि स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो चुका है और उसे तोड़ने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गांव में कोई वैकल्पिक व्यवस्था बच्चों के बैठने की नहीं हुई है। इसी कारण से बच्चों की छुट्टी लगाई दी गई है। इसी दौरान पास के ही गांव सांकलखेड़ा कला की प्राथमिक शाला में पानी भरा हुआ है और भवन काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहां मौजूद शिक्षक ने बताया कि स्कूल भवन काफी पुराना होने के कारण क्षतिग्रस्त हो चुका है और उसे तोड़ने के निर्देश जारी हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आगे एक हाल नया बना है, इसमें बच्चों को बैठाकर पढ़ाई कराई जा रही है और जो पुराने भवन के कमरें और शौचालय हैं उन में पानी भर आता है जिसके कारण से वह काफी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और जल्द ही स्कूल भवन को तोड़ा जाएगा।

एक साथ बैठते हैं बच्चे तो होती हैं परेशानी

जिले के 297 प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला भवन को तोड़ने के लिए जिला शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए। जिसमें से मात्र 46 भवनों को जमींदोज किया गया हैं अभी 251 भवन ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है इंजीनियर द्वारा जितने भवन या कमरों को क्षतिग्रस्त बताया जा रहा है उतनी ही हिस्से को तोड़ा जाएगा बाकी भवन या अतिरिक्त कक्ष जो अच्छी स्थिति में है उन्हें नहीं तोड़ा जाएगा, लेकिन जब जमीन स्तर पर यहां जाकर देखा गया तो पाया कि अधिकांश स्कूल भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और बैठने लायक स्थिति में नहीं हैं। इसी दौरान लश्करपुर के प्राथमिक शाला भवन को बने हुए काफी वर्ष हो चुके हैं ऐसे में भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहां पर सहायक अध्यापक मनोज व्यास ने बताया कि प्राथमिक शाला भवन करीब 1965 में बना था और वह पूरी तरह इस क्षतिग्रस्त हो चुका है। वर्तमान में माध्यमिक शाला के एक कक्ष में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जगह कम होने के कारण स्कूल की सामग्री नहीं रख पा रही है और काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक कमरा और अगर उन्हें अतिरिक्त मिल जाता है तो वह बच्चों के लिए पढ़ाई करने में आसानी होगी। अभी कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चे एक साथ बैठते हैं, जिससे पढ़ाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सबसे ज्यादा विदिशा 70 सबसे कम नटेरन में 30

जिले के 297 प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला भवन को तोड़ने के लिए जिला शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए। जिसमें से मात्र 46 भवनों को जमींदोज किया गया हैं अभी 251 भवन ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं। जिसमें विदिशा ब्लांक में सबसे ज्यादा 70 स्कूल हैं जिसमें 12 स्कूलों के भवन को जमींदोज कर दिया हैं और 58 स्कूल ऐसे हैं जो गिरने की कगार पर हैं। जबकि सबसे कम नटेरन में 30 स्कूल छतिग्रस्त बताएं गएं हैं। जिसमें 10 स्कूलों को गिरा दिया हैं 20 स्कूल कभी भी गिर सकते हैं। इसके अलावा सिरोंज में 46 स्कूल में से 4 स्कूलों को गिरा दिया हैं जबकि 42 स्कूल की हालत खराब हैं। लटेरी के 40 स्कूलों में 2 स्कूल गिराएं जा चुके हैं जबकि 38 स्कूल कभी भी गिर सकते हैं। वही कुरवाई के 34 स्कूलों में से 1 को गिराया जा चुका हैं जबकि 33 स्कूल गिरने की कगार पर पहु्रंच चुके हैं। बासौंदा के 36 स्कूलों मेें से 16 स्कूल गिराएं जा चुके हैं 40 स्कूल कभी भी धोखा दे सकते हैं इसके अलावा ग्यारसपुर के 41 स्कूलों में 1 गिराया जा चुका हैं जबकि 40 स्कूूलों भवनों को गिराना शेष हैं।

इनका कहना है

जिले के प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला के भवन क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं। इस दौरान स्कूल संचालित नहीं किया जाएगा। पंचायत भवन, मांगलिक भवन, सामुदायिक भवन में स्कूल संचालित किया जाए। अगर पंचायत द्वारा कोई जगह उपलब्ध नहीं कराई जाती है तो गांव में भवन किराए पर लेकर स्कूल संचालित किया जाए। अगर इस दौरान किसी भी स्कूल के शिक्षक द्वारा छुट्टियां लगाई गई है तो कठोर क

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश मीना