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जगदलपुर, 5 अगस्त (हि.स.)। भारत सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रो में स्वदेश दर्शन 2.0 योजना एवं प्रधानमंत्री जनजातीय उत्कर्ष ग्राम अभियान के तहत् होम-स्टे के विकास तथा बस्तर जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने एवं स्थानीय व्यक्तियों को स्वरोजगार व आय के साधन उपलब्ध कराने हेतु पर्यटन क्षेत्र के समीप आदिवासी ग्रामों में होम-स्टे संचालन हेतु इच्छुक अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों से 7 अगस्त 2025 तक आवेदन आमंत्रित किया गया है । चयनित व्यक्तियों को होम-स्टे हेतु नये कमरे बनाने हेतु 5 लाख रूपए तक एवं पूर्व से संचालित होम-स्टे में सुधार हेतु 3 लाख रूपये तक की सहायता प्रदाय की जाएगी । होम-स्टे हेतु प्रस्तावित भूमि संबंधित व्यक्ति के कब्जे व भू-स्वामित्व का होना अनिवार्य है । पूर्व में होम-स्टे संचालनकर्ता, महिलाओं व पर्यटन क्षेत्र में पूर्व से जुड़े व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी । अधिक जानकारी के लिए कार्यालय कलेक्टर बस्तर के सामान्य शाखा से संपर्क कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में होम स्टे की शुरुआत सबसे पहले छोटेबोडाल गांव से हुई। यह गांव नानगूर के पास स्थित है, और बस्तर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर है । यहां 2007 में शकील रिजवी ने जिले का पहला होम स्टे शुरू किया, जो तीन कमरों वाला एक पारंपरिक मिट्टी का घर है । इस घर में 12 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल ग्रामीण परिवेश का आनंद लेते हैं, बल्कि आदिवासी जीवनशैली, परंपराएं, और स्थानीय वनस्पतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।
बस्तर जिले के चित्रकोट और धुड़मारास गांवों को हाल ही में ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज 2024’ प्रतियोगिता में विशेष सम्मान मिला है, । यह सम्मान केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रदान किया । धुड़मारास गांव अपनी एडवेंचर गतिविधियों के लिए लोकप्रिय है। वहीं चित्रकोट जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध है । छग. सरकार अब ऐसे अन्य गांवों की पहचान कर रही है जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे