हमें इतिहास में वह पढ़ाया, जिसमें पराजय दर्ज, देश चित्तौड़ से सीखे कर्तव्य का पाठ- राजवीर
चित्तौड़गढ़, 31 अगस्त (हि.स.)। इतिहास को जानने की प्यास और गौरव गाथा को सुनने का जुनून रविवार को चित्तौड़गढ़ में इस कदर उमड़ा कि इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम छोटा पड़ गया। यहां बाहर तक भीड़ उमड़ आई। युवाओं का जोश और मेवाड़ की गाथाओं की गूंज उस समय चरम पर थ
चित्तौड़गढ़ में रविवार को चित्तौड़ गौरव गाथा पर बोलते राजवीरसिंह चकलोई।


चित्तौड़गढ़, 31 अगस्त (हि.स.)। इतिहास को जानने की प्यास और गौरव गाथा को सुनने का जुनून रविवार को चित्तौड़गढ़ में इस कदर उमड़ा कि इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम छोटा पड़ गया। यहां बाहर तक भीड़ उमड़ आई। युवाओं का जोश और मेवाड़ की गाथाओं की गूंज उस समय चरम पर थी, जब ‘चित्तौड़ गाथा’ कार्यक्रम में इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने तर्कों और तथ्यों के साथ विकृत इतिहास को चुनौती दी।

मुख्य वक्ता इतिहासविद् राजवीर सिंह चकलोई ने कहा कि हमें इतिहास का वह पक्ष पढ़ाया गया, जिसमें केवल पराजय दर्ज थीं, जबकि हमारी गौरवमयी विजयों को भुला दिया गया। चित्तौड़ मध्यकाल से पहले भी था और बाद में भी मजबूती से खड़ा रहेगा। मेवाड़ की विशेषता यही है कि वह गिर कर भी उठता है और फिर लड़ता है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य का पाठ पूरे देश को मेवाड़ और विशेष कर चित्तौड़ ही सिखा सकता है।

लोकतंत्र का पुरोधा मेवाड़

राजवीर ने श्रोताओं से सीधे संवाद के दौरान कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा पाठ देश को मेवाड़ से मिला है। महाराणा प्रताप को गद्दी पर बैठाने का निर्णय जनता ने लिया था, न कि केवल राजवंश की परंपरा ने। उन्होंने हाल ही में संसद में महाराणा सांगा के योगदान पर सवाल उठाने वाले एक सांसद की सोच पर गहरा रोष जताया और कहा कि सांगा जैसे ओजस्वी व्यक्तित्व पर प्रश्न खड़े करने वाले विकृत मानसिकता के लोग हैं। मेवाड़ की जनता को अब ऐसे लोगों की सोच सुधारने का बीड़ा उठाना होगा।

प्रताप कोरिडोर से लौटेगा स्वर्णिम इतिहास : सांसद जोशी

इस दौरान मुख्य अतिथि सांसद सीपी जोशी ने कहा कि हमारी विरासत और इतिहास को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाना हमारी जिम्मेदारी है। संसद में चित्तौड़ का प्रतिनिधि होने के नाते मैंने हमेशा इसके विकास और गौरव को सहेजने का प्रयास किया है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि शीघ्र ही प्रताप कोरिडोर के माध्यम से मेवाड़ का स्वर्णिम इतिहास लौटेगा।

कार्यक्रम में चित्तौड़ गौरव तीर्थ प्रन्यास के अध्यक्ष पुष्कर नरानिया व ट्रस्टी प्रो. सुशीला लड्ढा ने भी विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. ओमेंद्र रत्नू ने धरोहरों की उपेक्षा पर चिंता जताई और श्रोताओं से दुर्ग के गौरवमयी पुनरुद्धार का संकल्प करवाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोपाल जाट और निष्ठा नरानिया ने सयुंक्त रूप से किया। कार्यक्रम का आभार संस्थान के ट्रस्टी श्रवण सिंह राव ने व्यक्त किया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अखिल